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16 अप्रैल 2011

निर्भीकता और सत्यता के साथ ब्लोगिंग की दुनिया को स्वच्छ संदेश दे रहे हैं भाई सलीम खान

निर्भीकता और सत्यता के साथ ब्लोगिंग की दुनिया को स्वच्छ संदेश देने वाले सलीम भाई सच बोलने और सच लिखने के आदतन हैं और वोह जेसा व्यवहार खुद करते हैं ऐसा ही दूसरों से भी चाहते हैं अगर कोई सच का उपहास उढाये या फिर सच से मुंह फेर ले तो फिर भाई सलीम उससे निपटना अच्छी तरह जानते हैं .
उत्तर प्रदेश  के  अदबी नगर लखनऊ में जन्मे सलीम की पीलीभीत  के तराई इलाके में परवरिश हुई है इन्होने टूरिज्म में एम बी ऐ किया है और इसके बाद सलीम भाई लखनऊ और आसपास आने जाने वाले सेलानियों के हर दिल अज़ीज़ गाइड बने हैं ....
सलीम भाई की शख्सियत यूँ तो किसी भी परिचय की मोहताज नहीं है लेकिन यह परिचय श्रंखला है और सभी को एक दुसरे के बारे में जानने का हक है ताकि भाई चारा और सद्भाव में बढ़ोत्तरी हो सके .भाई सलीम १९९८ से लखनऊ में अंतर्जाल पर हैं ,२००१ से लेखन के कार्यों से जुड़े  हुए हैं विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में लेखों के प्रकाशन के साथ साथ भाई सलीम ने कई वेब्साइटें बनाई हैं और इसीलियें सलीम भाई आज इंटरनेट की दुनिया में  धूम मचा रहे हैं , वर्ष २००९ से ब्लॉग जगत से जुड़ने का बाद भाई सलीम ने जब अपना ब्लॉग स्वच्छ संदेश बनाया तो इनकी पोस्टों इनके लेखन को कई लोगों ने सराहा और इनकी लेखनी को सभी लोगों ने अपने अपने तरीके से जांचा परखा किसी ने इन्हें कट्टरपंथी कहा तो किसी ने इन्हें साम्प्रदायिक कहा तो किसी ने इन्हें कोमी एकता का सन्देशवाहक कहा , सलीम भाई ने ब्लोगिंग के अखाड़े में कई पट्ठे तय्यार किये कई सन्गठन बनाये ,कई ब्लॉग बनाये ,कई सांझा ब्लॉग तय्यार कर एक दुसरे से ज्ञान बांटने की परम्परा को ज़िंदा किया और कुछ दिनों में ही भाई सलीम ब्लोगिंग की दुनिया में किसी के लियें काँटा तो किसी के लियें खुशबूदार फूल बन गए .
भाई सलीम का विचार है के हर आदमी को अपने धर्म के प्रति कट्टर होना चाहिए और मानवता तभी जिंदा रह सकती है वोह कहते  है के धर्म दिलों में रहता हे तो आचरण में मानवता आती है उनका कहना है के अगर में किसी के धर्म को नुकसान पहुंचाऊं तो उसे यह हक हे के मुझे दंडित करे और अगर कोई मेरे धर्म को नुकसान पहुंचाएगा तो मेरा भी फर्ज़ है के में उसे किसी कीमत पर नहीं बख्शुं ,बात साफ़ है भाई स्लिम जो कहते हैं वोह करते भी हैं इन्होने हिन्दू और मुस्लिम धर्म को एकरूपता देने के लियें दोनों के धर्म का अवलोकन किया और होली पर हजरत इब्राहीम और प्रहलाद के जलने के किसे की एकरूपता लोगों को बताई , भाई सलीम ने क़ुरबानी के जज्बे के लियें शंकर भगवान द्वारा गणेश जी का सर काटने और हजरत इब्राहिम द्वारा उनके पुत्र की गर्दन पर छुरी चलाने की एकरूपता को सभी लोगों तक पहुंचाया हैं .
वेसे तो सलीम भाई गजलों के शोकिन हैं लेकिन यह गज़ल से ज़्यादा लेख और खबरें लिखने में विश्वास करते हैं ,अपने आचरण पर गर्व करते हुए सलीम भाई कहते हैं के उन्हें भारतीय मुसलमान होने पर गर्व है, लेकिन भेदभाव के रवय्ये को वोह बर्दाश्त नहीं करते और जहां कहीं भी जातिगत और अमीरी गरीबी के आधार पर भेदभाव किया जाता है तो भाई सलीम अपने क्लेम की तलवार मियान से बाहर निकाल कर ऐसे लोगों को सबक सिखाना शुरू कर देते हैं .बस इनके इसी सच के आगे कुछ तो नतमस्तक हैं और कुछ इनके दुश्मन बन गये हैं भाई सलीम इस्लाम को विज्ञानं से जोड़कर इस दर्शन को लोगों को तार्किक तरीके से समझाने का प्रयास भी करते हैं और कहते हैं के में तो अकेला ही चला था जानिबे मंजिल मगर लोग साथ आते गए और कारवां बनता गया ..........
भाई सलीम की निर्भीकता और सत्यता से ओत प्रोत सात सो से भी अधिक आलेख स्वच्छ संदेश हिंदी ब्लॉग पर लिखे गए हैं और इस सजे संवरे ब्लॉग में जमीन से आसमान तक की सभी जानकारियाँ भरने का प्रयास भाई सलीम ने किया है .इण्डिया ब्लोगिंग में इनकी ७४  वीं रेंक है इन्होने स्वच्छ संदेश के नाम से फेंस क्लब भी बनाया है और इनके ब्लॉग पर किताबों के बारे में भी सम्पूर्ण जानकारी एक लाइब्रेरी सजा कर दी गयी है .
पोलीथिन पर रोक के बारे में यह जज्बाती संदेश देते हुए अपने ब्लॉग में लिखते हैं के गायों की मोत का प्रमुख कारन पोलीथिन हैं क्योंकि गायें  पोलीथिन खाती हैं और इसके बाद इनकी पाचन क्रिया खराब होने से इनकी म्रत्यु हो जाती है सलीम भाई कहते हैं के अगर आप सही गौ  भक्त हैं अगर आप सच में गायों की म्रत्यु रोकना चाहते हैं तो पोलीथिन का उपयोग बंद कर दें विज्ञान की आवाज़, जिंदगी की आरजू इनके अपने  अलग बोल हैं , भाई सलीम कई दुसरे सांझा ब्लोगों में जुड़े हुए हैं सांझा ब्लॉग में इनकी ख्याति देख कर कई लोगों को इनसे नाराज़गी भी है सलीम भाई जब सच का विरोध करने वालों के खिलाफ कुछ लिखते हैं तो वोह लोग इनसे इतने नाराज़ होते हैं के इनके ब्लॉग इनकी रचनाएँ बेन हो जाती हैं भाई सलीम को कई ब्लोगर्स ,एग्रीगेटर,सांझा ब्लॉग मालिकों ने इनके आलेखों को ब्लेकलिस्टेड घोषित किया हैं लेकिन ब्लेकलिस्टेड क्यूँ किया गया है इसका जवाब किसी शख्सियत के पास नहीं हैं .
भाई सलीम ने जिंदगी की सच्चाई और महत्वाकांक्षाओं   की दोड़ धूप का सच वर्ष १९९९ में ही जान लिया अथा वोह लिखते हैं जिंदगी में आरजू कभी पूरी नहीं होती और अगर आरजू पूरी हो जाए तो फिर जिंदगी जीने की चाहत नहीं रहती और यह सच भी है के जिंदगी में आदमी चाहत के पीछे दोड़ता है और इसी चाहत को पाने के लियें वोह ज़िंदा रहता है अगर जिंदगी की चाहत खत्म तो जिंदगी खत्म हो जाती है इसलियें भाई सलीम का येह फलसफा जिंदगी और सच्ची जिंदगी जीने का एक सूत्र बन गया है ..भाई सलीम जब गजलों का संकलन कनरे बैठते हैं तो दर्द भरी गजलों के अशआरों में सभी लोगों को डुबो देते हैं और इनके जिंदगी की आरजू ब्लॉग पर दर्द भरी गजलों के कई संकलन मोजूद हैं कुल मिलाकर ब्लोगिंग में निर्भीकता,नहीं झुकने वाला स्वभाव लेकर एक नई क्रान्ति पैदा करने वाले सलीम भाई किसी के आगे झुके नहीं हैं और अपनी ताकत प्रतिभा के बल पर अपनी पहचाना बनाते जा रहे हैं और कम से कम विवादों से अपना सम्बन्ध रखते हैं लेकिन इनका एक ही सिद्धांत है के या तो छेडो मत और अगर छेडो तो छोड़ों मंत ....जनवरी २००१ से अब तक भाई सलीम सात सो से भी अधिक ब्लोगों पर हजारों वाह वाही लूट चुके हैं इनका सिद्धांत है यह खामोश मिजाजी हमें जीने नहीं देगी इस दोर में जीना है तो कोहराम मचा दो ......................अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

9 टिप्‍पणियां:

  1. अख्तर भाई, सलीम भाई एक अच्छे बलोगर हैं. हर व्यक्ति को अपने धर्म की अच्छाइयों को को बखान करने का हक़ सभी को है. ऐसे लोग धर्म का सम्मान करते हैं, पर जब सलीम भाई धर्म की आड़ में किसी दूसरे धर्म पर अंगुली उठाते हैं तो बुरा लगता है. सभी का सम्मान करना चाहिए इससे प्रेम बढ़ता है. जो बाते बीत गयी उन्हें याद करके हम वर्तमान को क्यों ख़राब करें. उन्हें थोडा सुधर लाना होगा, इससे उनके व्यक्तित्व में लिखर आएगा.
    मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.

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  2. बहुत अच्छी पोस्ट, शुभकामना, मैं सभी धर्मो को सम्मान देता हूँ, जिस तरह मुसलमान अपने धर्म के प्रति समर्पित है, उसी तरह हिन्दू भी समर्पित है. यदि समाज में प्रेम,आपसी सौहार्द और समरसता लानी है तो सभी के भावनाओ का सम्मान करना होगा.
    यहाँ भी आये. और अपने विचार अवश्य व्यक्त करें ताकि धार्मिक विवादों पर अंकुश लगाया जा सके.,
    मुस्लिम ब्लोगर यह बताएं क्या यह पोस्ट हिन्दुओ के भावनाओ पर कुठाराघात नहीं करती.

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  3. आपकी रचनात्मक ,खूबसूरत और भावमयी
    प्रस्तुति भी कल के चर्चा मंच का आकर्षण बनी है
    कल (18-4-2011) के चर्चा मंच पर अपनी पोस्ट
    देखियेगा और अपने विचारों से चर्चामंच पर आकर
    अवगत कराइयेगा और हमारा हौसला बढाइयेगा।

    http://charchamanch.blogspot.com/

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  4. सलीम भाई जब हिंदी ब्लॉग जगत में आए तो यहाँ इसलाम, मुसलमान, ख़ुदा और रसूल की मज़ाक़ उड़ाना हिंदुओं का आम शग़ल था । कुछ यह कर्म करते थे, कुछ उनकी वाह वाह करते थे और बाक़ी गाँधी जी के तीन बंदर बन जाते थे ।
    सलीम भाई के आने के बाद हिंदी ब्लॉग जगत में एक क्राँति आ गई है । अब इसलाम की मज़ाक़ उड़ाने से पहले आदमी ख़ूब सोचता है कि अगर सलीम टीम आ गई तो मैं क्या जवाब दूंगा ?

    एक अच्छी शख़्सियत के बारे में आपने अच्छी जानकारी दी , शुक्रिया !

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  5. kisi dharm ke pravartak ,praneta ne sarvpratham
    manvata [insaniyat ]ko apnaya fir apna dhrm ,sampraday ,darshan . jisko jo achha laga chal pada . to kyon nahin ham prarambhik ,mul bhavana ko sthan den ? sara fasad hi mit jaye .tulnatmak
    vishay vivad ka karan bante hain.
    dhayvad.

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  6. मुझे समझ नहीं आता आखिर क्यों यहाँ ब्लॉग पर एक दूसरे के धर्म को नीचा दिखाना चाहते हैं? पता नहीं कहाँ से इतना वक्त निकाल लेते हैं ऐसे व्यक्ति. एक भी इंसान यह कहीं पर भी या किसी भी धर्म में यह लिखा हुआ दिखा दें कि-हमें आपस में बैर करना चाहिए. फिर क्यों यह धर्मों की लड़ाई में वक्त ख़राब करते हैं. हम में और स्वार्थी राजनीतिकों में क्या फर्क रह जायेगा. धर्मों की लड़ाई लड़ने वालों से सिर्फ एक बात पूछना चाहता हूँ. क्या उन्होंने जितना वक्त यहाँ लड़ाई में खर्च किया है उसका आधा वक्त किसी की निस्वार्थ भावना से मदद करने में खर्च किया है. जैसे-किसी का शिकायती पत्र लिखना, पहचान पत्र का फॉर्म भरना, अंग्रेजी के पत्र का अनुवाद करना आदि . अगर आप में कोई यह कहता है कि-हमारे पास कभी कोई आया ही नहीं. तब आपने आज तक कुछ किया नहीं होगा. इसलिए कोई आता ही नहीं. मेरे पास तो लोगों की लाईन लगी रहती हैं. अगर कोई निस्वार्थ सेवा करना चाहता हैं. तब आप अपना नाम, पता और फ़ोन नं. मुझे ईमेल कर दें और सेवा करने में कौन समय और कितना समय दे सकते हैं लिखकर भेज दें. मैं आपके पास ही के क्षेत्र के लोग मदद प्राप्त करने के लिए भेज देता हूँ. दोस्तों, यह भारत देश हमारा है और साबित कर दो कि-हमने भारत देश की ऐसी धरती पर जन्म लिया है. जहाँ "इंसानियत" से बढ़कर कोई "धर्म" नहीं है. मेरे बारे में एक वेबसाइट को अपनी जन्मतिथि, समय और स्थान भेजने के बाद यह कहना है कि- आप अपने पिछले जन्म में एक थिएटर कलाकार थे. आप कला के लिए जुनून अपने विचारों में स्वतंत्र है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं. यह पता नहीं कितना सच है, मगर अंजाने में हुई किसी प्रकार की गलती के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ. अब देखते हैं मुझे मेरी गलती का कितने व्यक्ति अहसास करते हैं और मुझे "क्षमादान" देते हैं.

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  7. आखिर व्यक्तिगत प्रचार की इस पोस्ट की आवश्यकता ही क्यों हुई...व क्या सार्थकता है ???????????

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  8. सलीम जी एक अच्छे लेखक हैं..मगर श्याम गुप्ता जी की बातें विचारणीय है..
    बस इतना ही...

    सिर्फ हंगामा खड़ा करना मेरा मकसद नहीं
    मेरी कोशिश है ये सूरत बदलनी चाहिए
    मेरे सीने में न सही तेरे सीने में सही
    हो कहीं भी मगर आग जलनी चाहिए

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  9. देश और समाजहित में देशवासियों/पाठकों/ब्लागरों के नाम संदेश:-
    मुझे समझ नहीं आता आखिर क्यों यहाँ ब्लॉग पर एक दूसरे के धर्म को नीचा दिखाना चाहते हैं? पता नहीं कहाँ से इतना वक्त निकाल लेते हैं ऐसे व्यक्ति. एक भी इंसान यह कहीं पर भी या किसी भी धर्म में यह लिखा हुआ दिखा दें कि-हमें आपस में बैर करना चाहिए. फिर क्यों यह धर्मों की लड़ाई में वक्त ख़राब करते हैं. हम में और स्वार्थी राजनीतिकों में क्या फर्क रह जायेगा. धर्मों की लड़ाई लड़ने वालों से सिर्फ एक बात पूछना चाहता हूँ. क्या उन्होंने जितना वक्त यहाँ लड़ाई में खर्च किया है उसका आधा वक्त किसी की निस्वार्थ भावना से मदद करने में खर्च किया है. जैसे-किसी का शिकायती पत्र लिखना, पहचान पत्र का फॉर्म भरना, अंग्रेजी के पत्र का अनुवाद करना आदि . अगर आप में कोई यह कहता है कि-हमारे पास कभी कोई आया ही नहीं. तब आपने आज तक कुछ किया नहीं होगा. इसलिए कोई आता ही नहीं. मेरे पास तो लोगों की लाईन लगी रहती हैं. अगर कोई निस्वार्थ सेवा करना चाहता हैं. तब आप अपना नाम, पता और फ़ोन नं. मुझे ईमेल कर दें और सेवा करने में कौन-सा समय और कितना समय दे सकते हैं लिखकर भेज दें. मैं आपके पास ही के क्षेत्र के लोग मदद प्राप्त करने के लिए भेज देता हूँ. दोस्तों, यह भारत देश हमारा है और साबित कर दो कि-हमने भारत देश की ऐसी धरती पर जन्म लिया है. जहाँ "इंसानियत" से बढ़कर कोई "धर्म" नहीं है और देश की सेवा से बढ़कर कोई बड़ा धर्म नहीं हैं. क्या हम ब्लोगिंग करने के बहाने द्वेष भावना को नहीं बढ़ा रहे हैं? क्यों नहीं आप सभी व्यक्ति अपने किसी ब्लॉगर मित्र की ओर मदद का हाथ बढ़ाते हैं और किसी को आपकी कोई जरूरत (किसी मोड़ पर) तो नहीं है? कहाँ गुम या खोती जा रही हैं हमारी नैतिकता?

    मेरे बारे में एक वेबसाइट को अपनी जन्मतिथि, समय और स्थान भेजने के बाद यह कहना है कि- आप अपने पिछले जन्म में एक थिएटर कलाकार थे. आप कला के लिए जुनून अपने विचारों में स्वतंत्र है और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में विश्वास करते हैं. यह पता नहीं कितना सच है, मगर अंजाने में हुई किसी प्रकार की गलती के लिए क्षमाप्रार्थी हूँ. अब देखते हैं मुझे मेरी गलती का कितने व्यक्ति अहसास करते हैं और मुझे "क्षमादान" देते हैं.
    आपका अपना नाचीज़ दोस्त रमेश कुमार जैन उर्फ़ "सिरफिरा"

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दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

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