राजस्थान के स्थानीय निकाय इन दिनों अतिक्र्मन्कारियों और अफसरशाही से तंग और परेशान हें हालात यह हें के जहां कोंग्रेस का निगम बोर्ड हे वहां भी कोंरेस के नेताओं की अधिकारी सुनवाई नहीं कर रहे हें कोटा हो या जयपुर सभी जगह एक ही शिकायत हे ।
अभी हाल ही में जयपुर महापोर ज्योति खंडेलवाल ने खुलेआम मंच से सार्वजनिक रुपे से अफसरों की मनमानी और नाकारापन की शिकायत सार्वजनिक तोर पर मुख्यमंत्री और स्वायत शासन मंत्री से की थी ज्योति खंडेलवाल के बेबाक उद्बोधन से सारा राजस्थान और राजस्थान के नेता अधिकारी स्तब्ध हो गये थे सरकार को इस मामले में शर्म आई और सरकार ने जयपुर नगर निगम के कुछ अधिकारयों की बदली की अब यही बीमारी कोटा में फेल रही हे यहाँ अतिक्रमण हटाने के मामले में समिति तो बनी हे लेकिन अधिकारी इस मामल में मदद नहीं कर रहे हें हालात यह हें के पिछ्हले दिनों कोटा नगर निगम महापोर रत्ना जेन और अतिक्रमण समिति की अध्यक्ष श्रीमती रेहाना में वाक् युद्ध और आरोप प्रत्यारोप शुरू हो गये पता अचला के सभी की अधिकारी नहीं सुन रहे हें अतिक्रमण चिन्हित कुछ किये गये हें कुछ छोड़ दिए गये हे और अतिक्रमण हटाने के लियें संसाधन उपलब्ध नहीं कराए जा रहे हें कल महापोर ने खुद अतिक्रमण कारियों के स्थान का डोरा किया उन्हें समझाइश की लेकिन अतिक्रमण और अधिकारीयों के संथ गाँठ बाब रे बाप .............. । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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