लोकतंत्र के काले कानून के खिलाफ वकीलों की राष्ट्रव्यापी हडताल
लोकतंत्र   के काले कानून के खिलाफ वकीलों की राष्ट्रव्यापी हडताल कल २४ मार्च को   होगी ,सरकार ने वकीलों की लोकतान्त्रिक प्रणाली का गला घोंटने के लियें   काला कानून बनाकर उनकी आज़ादी और स्वायत्ता खत्म करने के प्रयास किये हें जो   देश के वकीलों को कतई मंजूर नहीं हे . 
देश   में एडवोकेट एक्ट बना हुआ हे वकीलों को नियंत्रित करने,अनुशासित करने के   लियें बार कोंसिल नियम बने हें और इस कानून के तहत स्वायत संस्था बार   कोंसिल ऑफ़ इण्डिया बनाई गयी हे जो वकीलों द्वारा निर्वाचित होती हे वकील   इस काम के लियें सरकार से कोई मदद नहीं लेते हें कुल मिलाकर यह सारा मामला   स्वायत्ता वाला हे खुद वकीलों का कानून हे जो संसद ने पारित किया हुआ हे  और  वकील खुद अपने चंदे से इस संस्था को चला रहे हें फिर भी सरकार एक कानून   में दी गयी स्वायत्त को खत्म करने के लियें वकीलों के मामले में उनके  विधि  नियमों की पालना उनके तोर तरीके शिकवे शिकायत तय करने के लियें पूर्व  में  चल रहे कानून के तहत निर्वाचित बार कोंसिलों और बार कोंसिल ऑफ़  इंडिया के  हाथों में हथकड़ी और पेरों में बेड़ियाँ डालने के लियें एक न्य  कानून लागु  किया हे जिसका अध्यक्ष वकील नहीं सरकारी कर्मचारी होगा जिसकी  नियुक्ति  सरकार अपने प्रतिनिधि के रूप में करेगी और फिर वकीलों की इस  संस्था को  वकीलों और वकीलों की बार कोंसिल से ज़्यादा अधिकार दिए गए हें  सरकार इस  कानून के माध्यम से वकीलों की नाक में नकेल डालना चाहती थी  इसलियें सत्ता  पक्ष से जुड़े वकीलों ने इस जानकारी के होते हुए भी इसे  रोकना मुनासिब नहीं  समझा खुद सरकार में और सरकार के प्रतिपक्ष में जो नेता  हे वोह अधिकतम वकील  हे पार्टियों के प्रवक्ता हे लेकिन इस काले कानून के  खिलाफ उनके गले में  सरकारी या राजनितिक परियों का पत्ता पढ़ जाने के बाद  वोह चुप हें और यह  चुप्पी शर्मनाक हे .............. अख्तर खान अकेला कोटा  राजस्थान 
लोकतंत्र   के काले कानून के खिलाफ वकीलों की राष्ट्रव्यापी हडताल कल २४ मार्च को   होगी ,सरकार ने वकीलों की लोकतान्त्रिक प्रणाली का गला घोंटने के लियें   काला कानून बनाकर उनकी आज़ादी और स्वायत्ता खत्म करने के प्रयास किये हें जो   देश के वकीलों को कतई मंजूर नहीं हे . 
देश   में एडवोकेट एक्ट बना हुआ हे वकीलों को नियंत्रित करने,अनुशासित करने के   लियें बार कोंसिल नियम बने हें और इस कानून के तहत स्वायत संस्था बार   कोंसिल ऑफ़ इण्डिया बनाई गयी हे जो वकीलों द्वारा निर्वाचित होती हे वकील   इस काम के लियें सरकार से कोई मदद नहीं लेते हें कुल मिलाकर यह सारा मामला   स्वायत्ता वाला हे खुद वकीलों का कानून हे जो संसद ने पारित किया हुआ हे  और  वकील खुद अपने चंदे से इस संस्था को चला रहे हें फिर भी सरकार एक कानून   में दी गयी स्वायत्त को खत्म करने के लियें वकीलों के मामले में उनके  विधि  नियमों की पालना उनके तोर तरीके शिकवे शिकायत तय करने के लियें पूर्व  में  चल रहे कानून के तहत निर्वाचित बार कोंसिलों और बार कोंसिल ऑफ़  इंडिया के  हाथों में हथकड़ी और पेरों में बेड़ियाँ डालने के लियें एक न्य  कानून लागु  किया हे जिसका अध्यक्ष वकील नहीं सरकारी कर्मचारी होगा जिसकी  नियुक्ति  सरकार अपने प्रतिनिधि के रूप में करेगी और फिर वकीलों की इस  संस्था को  वकीलों और वकीलों की बार कोंसिल से ज़्यादा अधिकार दिए गए हें  सरकार इस  कानून के माध्यम से वकीलों की नाक में नकेल डालना चाहती थी  इसलियें सत्ता  पक्ष से जुड़े वकीलों ने इस जानकारी के होते हुए भी इसे  रोकना मुनासिब नहीं  समझा खुद सरकार में और सरकार के प्रतिपक्ष में जो नेता  हे वोह अधिकतम वकील  हे पार्टियों के प्रवक्ता हे लेकिन इस काले कानून के  खिलाफ उनके गले में  सरकारी या राजनितिक परियों का पत्ता पढ़ जाने के बाद  वोह चुप हें और यह  चुप्पी शर्मनाक हे .............. अख्तर खान अकेला कोटा  राजस्थान 

 
 

vastav me yah stithi sharnak hai .sarthak post .aabhar .
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