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09 मार्च 2011

एक संवेदन शील फेसला

देश में एक महिला जो सेतीस साल से दर्द भोग रही हे कोमा हे और इस तीमारदारी में उसके कई दोस्त बन गये हें एक फिल्म मुन्ना भाई एम एम बी बी एस का नजारा देख क्र कई लोगों को इस महिला अरुणा रामचन्द्र को जीवित रखने के मामले में आस बंधी थी लेकिन कुछ दिनों पूर्व सभी आस टूटने के बाद उसके लियें इच्छा म्रत्यु मांगी गयी . 
सुप्रीम कोर्ट में इस इच्छा म्रत्यु के प्रार्थना पत्र पर काफी लम्बी छोड़ी बहस छिड़ी और फिर डॉक्टरों का एक पेनल बनाया गया  अंतर राष्ट्रीय महिला दिवस के दिन इस मामले में फेसला आया लेकिन इस फेसले में इंसानियत थी भारत का इंसाफ भारत का संविधान था यह फेसला रुका हुआ फेसला जरुर था लेकिन इस फेसले ने एक असहाय महिला के प्रति इस देश को निर्दयी होने से बचा लिया इस फेसले ने सरकार के इस निक्म्म्मेप्न की पोल खोल दी जहां हजारों ऐसे असहाय इलाज और रख रखाव के अभाव में तडप रहे हें जिंदगी उनके लियें मोंत से भी बदतर बन गयी हे हालात बिगड़े हुए हें और इंसानियत का जज्बा आम आदमी में तो दूर की बात सरकार में भी नहीं रही हे ऐसे में यह फेसला एक फेसला नहीं भारत में मानवता की मिसाल हे लेकिन अब सरकार क्या करती हे वोह तो दानवता की मिसाल कायम करने पर लगी हे ............ . अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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