देश में देश के बाहर गली गली नुक्कड़ पर भारत के प्रधानमन्त्री और सरकार ,सरकार की कारगुजारियों पर शेम शेम के नारे लग रहे हें देश खुद शर्मिंदा हे देश का सुप्रीमकोर्ट शर्मिंदा हे लेकिन देश के प्रधानमन्त्री और भ्रष्टाचार के लियें ज़िम्मेदार लोग चोरी और सीना जोरी वाला खेल खेल रहे हें और भारत मां की छाती पर मुंग दल रहे हें ।
जी हाँ दोस्तों में भारत के प्रधानमन्त्री ,गृह मंत्री और गठ्बन्धन की बात कर रहा हूँ देश में भ्रस्ताचार पर निगरानी के लियें महा भ्रष्ट की नियुक्ति सीना जोरी इतनी की देश की जनता के कहने के बाद और फिर सुप्रीम कोर्ट के कहने के बाद भी गलती का एहसास नहीं केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त थोमस को लेकर चली इस बदनामी के बाद देश की बदनामी कोन वेल्थ घोटाला , फिर तू जी स्पेक्ट्रम फिर देश के काले धन वालों की सूचि छुपा कर बेठे प्रधानमन्त्री जी के बेशर्मी से बार बार कोशिशों के बाद आखिर सुप्रीम कोर्ट भी तंग आ गयी और सुप्रीम कोर्ट को आखिर केंद्र सरकार को फटकार ही लगाना पढ़ी ।
प्रधानमन्त्री मनमोहन सिंह को अरुण जेठ्ली , मुरलीमनोहर जोशी जो भाजपा के नेता हे इमादार कहते हें अगर इन भाजपा नेताओं की निगाह में इमानदारी ऐसी होती हे तो फिर तो देश में कोई भी आदमी बेईमान नहीं हे ना तेलगी न हर्षद मेहता कोई भी बेईमान नहीं रहा हे ऐ राजा को बचाया गया फिर फंसाया गया कलमाड़ी को बचा गया फिर कार्यवाही की गयी महाराष्ट्र में आदर्श सोसाइटी घोटाले में एफ आई आर अदालत के आदेशों से हुई थोमस बे ईमान थे फिर भी उन्हें केन्द्रीय सतर्कता आयुक्त बनाया जनता चिल्लाई देश चिल्लाया और अब सुप्रीम कोर्ट ने हुक्म दिया हे लेकिन कोई परवाह नहीं काले धन की सूचि हमारे पास हे लेकिन हम देश को बतायेंगे नहीं देश में आखिर यह सब हो क्या रहा हे ।
अब इन हालातों में इस देश का इस देश को चलाने वालों का जब यह हाल हे विपक्ष में बेठे लोग और मामलों में तो संसद नहीं चलने देंगे लेकिन अब वोह भी खामोश हे सिर्फ रस्म निबाह रहे हें ऐसे में इस देश का क्या होगा यह सोचने की आप को जरूरत नहीं हे क्योंकि हमारी सोच तो बस इतनी सी हे के क्या हुआ कोई फर्क नहीं पढ़ता मेरा भारत तो महान हे यह तो एक साजिश हे इसलियें रोते रहो लुटते रहो यही हमारा तुम्हारा नसीब हे हम सोचते हें के भगत सिंह चन्द्र शेखर आज़ाद हमारे घर में नहीं दूसरों के घर में पैदा हो तो फिर तो क्रान्ति और सच्चाई बस सोचने की बात हे ख्वाबों ख्यालों की बात हे धरातल पर आना तो नामुमकिन हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
03 मार्च 2011
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बहुत सही बात कही है.
जवाब देंहटाएंविचारोत्तेजक.
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