यह नफरत यह झगड़े यह फसादात आखिर कब तक चलेगे इसका जवाब ना आपके पास हे ना मेरे पास , इसके पीछे क्या कारण हे और झगड़े फसादात नफरत क्यूँ फेल रही हे ना आप जानते हें ना में जानता हूँ लेकिन सक यही हे चाहे आप हो चाहे में हूँ कमोबेश कहीं ना कहीं इन सब के लियें ज़िम्मेदार हें और इस पर हमें आपको चिन्तन करना होगा गलती स्वीकार करना होगी नहीं तो बस यह सिलसिला यहं ही चलता रहेगा और मेरे भारत महान को महान बनाने का सपना यूँ ही चकनाचूर होता रहेगा .
दोस्तों एक सप्ताह पूर्ण एक घटना मेरे सामने एक ऐसा सच बन कर सामने आया जिसकी चिंगारी से देश जल रहा हे ऐसा मेरा अनुमान हे चाहे आप हो चाहे में हूँ सभी इस चिंगारी के शिकार हें और इस चिंगारी से बनी आग में हाथ तापने के सपने लगाये बेठे हें भाइयों में एक सप्ताह से असमंजस में था के इस सच का आपके सामने खोलूं या नहीं क्योंकि सच तो सच होता हे और सच जब भी बोला जाता हे लिखा जाता हे एक बढ़ा तबका उसके खिलाफ हो जाता हे लोग बुरा मान जाते हें नाराज़ हो जाते हें और में जानता हूँ मेरे इस सच बोलने को को कई लोग साहसिक कदम नहीं मानेगे इसे बेवकूफी या फिर साम्प्र्तदयिकता करार देंगे लेकिन मेरे दिल ने कहा के इस सच को दबाया तो थोड़ा एहसास भी लोगों को नहीं हो पायेगा और अगर में थोड़ा असास करवाने में भी लोगों को कामयाब हुआ नफरत के इस माहोल से एक परिवार को भी में बचा सका तो में समझूंगा के मेरा भारतीय होने का फर्ज़ मेने पूरा कर दिया हे .
दोस्तों इस लफ्फाजी के बाद अब में आपको इस सच से अवगत कराने जा रहा हूँ में पहले भी कह चुका हूँ भोर समाज के लोगों के साथ हम पिछले दिनों गुजरात के सुरत गये थे वहां एक नजारा ऐसा देखा जिसने मेरी सोच ही बदल दी सभी साथियों को पता था के शहर काजी अनवर अहमद भी जा रहे हें और यह जानकारी एक मोलाना अलाउद्दीन साहब को भी थी वोह भी हमारे साथ जाने वाले थे पिछले दिनों कुछ लोगों ने खुद को सो कोल्ड काजी घोषित किया फिर जनता ने जब उन लोगों को सबक सिखाया तो फिर चंदे बाज़ी ,तन्त्र मन्त्र विद्या , कुरान की आयतों की सोदेबाज़ी मजहब को रोज़गार बनाने का सिलसिला कुछ लोगों ने बना लिया यहाँ तक के कुछ मोलाना अपनी मोलाना गिरी छोड़ कर सरकारी मदद और पद लोलुपता में सरकार और सरकार के मंत्रियों के तलवे चाटने लगे कोटा के शहर काजी एक मात्र दुनिवावी शिक्षा के साथ साथ इस्लाम के ज्ञाता हे उनका कोटा में ही नहीं राजस्थान में ही नही पुरे देश में एक अपना मुकाम हे बस इसीलियें कुछ मोलानाओं ने सुन्नी जमती और ना जाने क्या क्या के सो कोल्ड जमातें बना ली और काजी साहब के खिलाफ साजिशें शुरू की जो लगातार नाकाम हो रही हे तो जनाब इन काजी साहब के साथ कथित खिलाफ गुट के मोलाना अलाउद्दीन जाने के लियें घर से स्टेशन प्लेटफोर्म तक आ गये ट्रेन के आने का वक्त था के किसी ने इन जनाब मोलाना अलाउद्दीन साहब को फोन किया डांट पिलाई और शहर काजी के साथ जाने से इंकार किया बस फिर क्या था मोलाना अलाउद्दीन साहब रेलवे प्लेटफोर्म से बेग उठा कर सरपट भागे और ओटो में बेठ कर रवाना हो गये उनका आने जाने का टिकिट बेकार गया तो जान एक नफरत एक ही समाज एक ही धर्म के लोगों को कितना जुदा कितना अलग कर देती हे और यह हर जाती हर समाज हर धर्म में लगातार हो रहा हे उंच नीच का पाठ हो, धर्म का विवाद हो य्हना तक तो ठीक हे लेकिन पीडियों में इस जहर को घोलने के लियें हम सब बराबर के हिस्सेदार हे आपके माता पिता हों चाहे मेरे माता पिता हो बुज़ुर्ग हों सभी ने कभी हिन्दू मुसलमानों को साथ रहने का पाठ अपने बच्चों को नहीं पढाया सामने दिखावे के तोर पर यह चाहे कितने ही धर्म निरपेक्ष बनते हो लेकिन अन्दर कहीं ना कहीं अपने बच्चों को अपने धर्म की सिख के साथ साथ दुसरे के धर्म के खिलाफ नेगेटिव सिख देते रहे हें और यही नफरत का कारण रहा हे इतिहास के किस्सों को तोड़ मरोड़ कर सुनाना भविष्य में बदला लेने का अभाव एक दुसरे के दिल में पैदा करना इस बढती हुई पीडी के दिमाग में भरा जाता हे वोह तो शुक्र हे आज के माहोल की जो बहुत कुछ इस शिक्षा का असर समाज पर नहीं पढ़ रहा हे .
अभी हम सुरत यात्रा पर गये बोहरे समाज का प्यार स्वागत के तोर तरीके देख कर मुझे बचपन के हमारे बुजुर्गों द्वारा सुनाया गया एक किस्सा याद आ गया जिसे मेने तो कमसेकम अपने बच्चों को नहीं सुनाया और कुछ ने सुनाने का प्रयास भी किया तो मेने टोक दिया हमें बचपन में बोहरा समाज के लियें कहा गया के इनके घर की तरफ भूले से भी मत जाता इनकी किसी भी मीठी बैटन में ना आना हम से कहा गया के यह लोग बच्चों को उठा कर ले जाते हें चांवल बनाते हें और फिर उन चावलों पर बच्चे को लटका क्र चाकुओं से गोद गोद कर खून के फव्वारे निकालते हें और जब चांवल खून से लाल हो जाते हें और बच्चे की मोट हो जाती हे तो उसका मॉस यह बोहरे लोग खा जाते हें यह किस्से बुजुर्गों ने सुनाये थे लेकिन सब जानते हें इसमें कोई सच्चाई नहीं थी बस पीडी ने सुनाया इस लियें इस पीडी को भी सूना दिया और इसके खिलाफ व्यवहारिक तोर पर जब हमने बोरे समाज के अखलाक जीवनशेली तोर तरीकों को देखा तो हमें उस झूंठ और हंसी आ गयी जिससे हमें अनावश्यक ही बोहरो से दूर रखा गया .
ऐसा ही सच यह भी हे के दुसरे समाजों के खिलाफ भी बुज़ुर्ग लोग काल्पनिक कहानिया सुनते हें और फिर उनका खाली दिमाग उसे ही सच समझने लगता हे और नफरत की इस बुनियाद पर जिसका आधार झूंठ और सिर्फ झूंठ हम भारत को महान बनाना चाहते हें कई किस्से हे जहां एक भाई से भी ज़्यादा हिन्दू की मदद मुसलमान ने और एक मुसलमान की मदद हिन्दू भाई ने की हे बुजुर्गों द्वारा बहकाया जाता रहा हे के इस धर्म के लोग खतरनाक हे उस धर्म के लोग खतरनाक हे इतना तक चल रहा था लेकिन अब इस आग को राजनेतिक संगठनों ने हवा दी हे इस आग को कथित सो कोल्ड धार्मिक संगठनों ने हवा दी हे देश के अपनेपन को देश के प्यार को देश के अमन चेन को इस विचारधारा ने नफरत ,दर और खोफ में बदल दिया एक दुसरे के प्रति शंकाएं पैदा कर दी हें इतिहास चाहे कुछ भी रहा हो लेकिन आज सच यही हे के मजहब की विचारधारा की दीवारें गिरा कर लोगों को अपने अपने घरों से एक दुसरे से गले मिलने बाहर निकलाना होगा और सभी भाइयों को देश का राष्ट्र का भारत का नवनिर्माण करना होगा आज चोर ,लुटेरे , बेईमान . हत्यारे सब ने अपना अलग धर्म बना लिया हे वोह अपना व्यापार या अपराध करते वक्त कभी यह नहीं सोचते के यह हमारे धर्म का आदमी हे और हिन्दू हिन्दू को लुटता हे मरता हे और मुसलमान मुसलमान को लुटता हे मारता हे लेकिन फिर भी देश नहीं सुधरता हे तो दोस्तों इस सोच बदलने के लियें मेरा यह निवेदन हे के कमसे कम अब अपनी पीडी को तो वोह नफरत की पुरानी कहानिया सुनना बंद करें और नई कहानिया जो प्यार की हे भाईचारे की हें सद्भावना की हे अपनेपन की हे मदद की हे एक भारतीय की हे वोह सूना सुना कर बच्चों को बढ़ा किया जाए धर्म जिया जाता हे और इसके अपने नियम हे सभी धर्मों में एक बात कोमन हे इमादार रहो , मदद करो , भाईचारा भाव , भ्रस्ताचार मत फेलाओं ,गरीबों की मदद करो , समाज सेवा करों शांति स्थापित करों लेकिन यह सब क्या हम कर रहे हें अगर नहीं तो फिर हम कोनसे धर्म को मानने वाले हे खुद ही समझ लेना चाहिए तो आओ दोस्तों हम भी अपना काम करें जिसे मेरे इन सुझावों को दरकिनार करना हे इनसे नफरत कर देश को बांटने और देश में अराजकता फेलाने के लियें धर्म के नाम पर नफरत फेलाना हे वोह वेसा ही करे और जो लोग प्यार बाटना चाहते हें दिलों में प्यार और हिन्दुस्तान रखते हें वोह तो कमसेकम अपनी इस गलती को सुधारे और दुरे परिवारों में जहां अपनी चलती हो वहां भी इसकी हिदायत करें क्योंकि बच्चे मन के सच्चे होते हे और वोह उनसे कहा जाता हे उसे ही दिल दिमाग में सच मानकर जीते हें तो जनाब पक्का हे ना ,वायदा करो के आज से ही नहीं अभी से नफरत की,अफवाहों की ,झूंठ फरेब की बेईमानी औरभ्रष्टाचार को छोड़ कर अपनेपन का पाठ शुरू करेंगे ताकि मेरे इस देश का मेरे इस भारत का नव निर्माण हो सके और मेरा भारत महान हो सके ............................................ अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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अखतर भाई, नमस्कार ! अच्छा लगा..आज पुराणी भूलों को सुधारने की जरुरत है . मैं एक ब्रह्मण हूँ और मेरा सबसे अजीज दोस्त मुसलमान 'फकीर' जाती का है. बुनियाद अली अल्वी..एक जगह खाते है..उसके घर में "गोस्त" नहीं खाया खाया जाता फिर भी उसकी मुसल्मानियत पर फर्क नहीं पड़ता और उसके घर खाना खाने से मेरे ब्राह्मणत्व पर आज तक कोई फर्क नही पड़ा. उसके गाँव मेरी हमारी दोस्ती की मिसाल दी जाती है..
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