यह दोस्त ...........
जो अभी अभी
आकर गले लगा हे
यह दोस्त जिससे
कुछ दुःख दर्द
बाटें हें अभी अभी
बस थोड़ी सी देर रुको
जरा दूर चला जाए
गलियाँ देंगे तभी
रस्म यही हे
प्यार से
टाटा बाय बाय के लियें
हाथ हिलाते रहो अभी .
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
अच्छा है भई. सच्चाइयों की जड़ पकड़ रखी है आपने. जब इंसान अपनी इन कमज़ोरियों से पार पा लेता है तब वह इंसान बन जाता है. अच्छी पंक्तियाँ कही हैं आपने.
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