एक टिप्पणी के दोरान भाई अनवर जमाल ने डरते डरते लिखा हे के उनके बच्चे को मेथ्स पढाने का हुक्म दिया गया वोह बच्चे को मेथ्स पढ़ा रहे थे के भाभीजी अचानक कहीं चली गयीं बस फिर क्या था सभी पति घर में शेर तो होते हें लेकिन सर्कस के शेर हो जाते हें उनका मास्टर हन्टर लिए पत्नी उनसे मनमाना करतब दिखवाती हे बस आज़ादी मिली नहीं अनवर भाई निरंकुश हो गये उन्होंने बच्चे को पढ़ने का अनुशासन तोडा और वापस गुपचुप ब्लोगर हो गये ब्लॉग खोला ब्लॉग पढ़े और टिप्पणिया दे डालीं भाई अनवर ने अपने इन बन्धनों को जिन शब्दों में पेश किया हे वेसे तो वोह एक चुटकुला हे लेकिन एक कटु सत्य भी हे ब्लोगिंग का नशा इन दिनों जिनको भी चढा हे वोह परिजनों के लियें विलेन बन गये हें शादी शुदा मर्दों के लियें तो ब्लॉग एक सोतन बन गयी हे लेकिन जो बहनें गृहणियां हें और ब्लोगिंग के माध्यम से सेवा कर रही हें वोह तो कमाल करती हें उनको नमन उनको सलाम हे के बहनें किन परिस्थितियों में ब्लोगिंग का प्रचार कर रही हें सभी बहनों और आंटियों को इसके लियें मुबारकबाद ,।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
@ जनाब अख़्तर ख़ान साहब ! यह पोस्ट ब्लॉग पत्रकारिता की एक आदर्श मिसाल है ।
जवाब देंहटाएंआपकी यह ख़बर अभी अभी हंटर वाली को बाद लंच सुनाई तो अपने रूतबे की चर्चा सुनकर वे भी ऐसे ही ख़ुश हो गईं जैसे आपकी हंटरवाली महान ममता मंडल में अपना फ़ोटो देखकर ख़ुश हुई थीं।
वैसे हम समझते थे कि आपका ब्लॉग आपकी बेगम ने बनाया होगा।
लेकिन आप तो शाहरूख़ ख़ान के बाप निकले।
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जवाब देंहटाएंप्रिय अख्तर खान जी ,
इतनी प्यारी बातें लिखी हैं आपने इस लेख में। मैं तो गलती से भी बाहर नहीं जाती यदि पतिदेव को जिम्मा दिया है , बच्चों को पढ़ाने का । क्यूंकि मुझे आस-पास न देखकर वो तो झट से टीवी ऑन कर देंगे और क्रिकेट चालू हो जाएगा।
वैसे मैं उनके क्रिकेट-प्रेम से नाराज़ नहीं होती , क्यूंकि वो मेरी ब्लोगिंग का नशा बहुत बर्दाश्त करते हैं ।
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