जी हाँ दोस्तों कोटा कलेक्टर और उनके अधीनस्थ अधिकारी पटवारी हाईकोर्ट और हाईकोर्ट के निर्देशों को कुछ नहीं समझते हें हालात यह हें के न्यायालय की अवमानना याचिका के बाद भी इन जनाब अधिकारियों ने परकोटे के पास के खाली जमीन पर निर्माण करवाने के लियें सरकार की तरफ से जमीन नीलाम कर दी हे ।
कोटा कलेक्टर और इनके अधीनस्थ उप जिला कलेक्टर ने कोटा के ऐतिहासिक बुर्ज और दरवाज़े सूरजपोल के पास की जमीन को नीलाम करने के लियें नजूल सम्पत्ति बताकर अख़बार में विज्ञापन दिया लोगों ने बोली लगाई और फिर भाजपा के कुछ लोगों ने इस सम्पत्ति को खरीद लिया , लेकिन प्रशासन और निगम को पता हे के यह भूमि किसी भी तरह से बेचीं नहीं जा सकती य्हना किसी भी प्रकार का निर्माण वर्जित हे एक तरफ तो पुरातत्व सम्पत्ति की रक्षा करने वाली संस्था इंटेक ऐसी सम्पत्तियों को बचाने के लियें संघर्ष कर रही हे और दूसरी तरफ जब राजस्थान हाई कोर्ट ने कोटा की ऐतिहासिक धरोहर परकोटे के आसपास की खूबसूरती को बचाने के लियें आदेश और निर्देश दिए हें के परकोटे के १०० गज की दुरी पर कोई निर्माण की अनुमति नहीं दी जायेगी तो फिर परकोटे से अडवान या फिर कहिये के परकोटे का ही हिस्सा सरकार कुछ लाख रूपये कमाने के लियें भाजपा के कुछ बोलीदाताओं से सांठ गाँठ कर केसे बेच सकती हे अब कोटा कलेक्टर ने डंके की चोट पर यह गलती तो कर दी हे लेकिन शिकायत के बाद लीपा पोती की की कार्यवाही चल रही हे ................... । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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