जी हाँ दोस्तों कल १२ रबीउलअव्वल यानी इस्लाम के आखरी पैगम्बर हजरत मोहम्मद रज़ी अलाह ताला का जन्म दिन हे कल के ही दिन उनका जन्म हुआ था लेकिन अफ़सोस नाक बात यह हे के इसी दिन विश्व भर में नेकी और इन्साफ की शिक्षा का परचम आम करने वाले हर दिल अज़ीज़ खुदा की तरफ से आदमियों की उम्मत में से भेजे हुए इस पैगम्बर ने पर्दा लिया था यानी विसाल हुआ था अब एक दिन जिसमें ऐसी अज़ीम पैगम्बर शख्सियत के जन्म की ख़ुशी और इसी दिन इन के विसाल के दुःख की खबर क्या किया जाए गम किया जाए या ख़ुशी मनाई जाए होना क्या चाहिए इसमें कई मत हे लेकिन हम देखते हे इस दिन मोलाना लोग खूब चंदा करते हें सडकों पर प्रदर्शन करते हें जुलुस निकालते हें , कुछ मोलाना हे जो हुजुर मोहम्मद साहब की शिक्षा की चर्चा आम करते हें , सब जानते हें खुदा के सबसे अज़ीज़ पैगम्बर जिनके माध्यम से खुदा ने इस्लाम की शक्ल सूधारने के लियें कुरान के रूप में एक कानून एक आदेश एक निर्देश दिया वोह पैगम्बर हुजुर मोहम्मद सल्ललाहो अलेह वसल्लम हें लेकिन बारावफात सरकारी केलेंदरों में छपता हे जिससे से लगता हे के हम अफ़सोस मना रहे हें और १२ रबी उल अव्वल यानी पैदाइश का जश्न हम और हमारे मोलाना मनाते हें खेर यह बारीक़ बाते हें मोलाना ही जाने लेकिन कल इस दिन को कुछ लोग गरीबों को खाना खिला कर , रक्तदान कर मना रहे हें तो कुछ लोग जुलुस निकल कर खुद को घोड़े पर बग्घी पर बिठाकर निकालेंगे हुजुर मोहम्मद सल्लाहो अलेह वसल्लम के इस जुलुस में मालाएं मोलाना लोग पहनेंगे जय जय कार उनके नाम की होगी लाखों का चंदा होगा शायद उनकी यह सीख नहीं रही होगी ।
हुजुर सल्लाहो अलेह वसल्लम की शिक्षा थी के चारों तरफ दावते इस्लाम की धूम मची हो , उनकी शिक्षा थी के जो शख्स इरादे का पक्का हो वोह दुनिया को अपनी मर्जी के मुताबिक अल्लाह के हुक्म से ढाल सकता हे ,उनकी शिक्षा थी के जद्दो जहद ना करना मोहताजी का बैस होता हे और मोहताजी दिल को तंग अक्ल को खाफिफ बनाती हे ,वोह कहते थे म्सहिब से मत घबराइये क्योंकि सितारे अँधेरे में ही चमकते हें ,उनका कहना था दुनिया में थोड़े माल पर राज़ी रह ,और दूसरी की रोज़ी पर आँख मत डाल अगर तुम किसी पर अहसान करो तो उसे छुपाओ और कोई तुम पर अहसान करे तो उसे लोगों पर ज़ाहिर करों ताकि उसका होसला बढ़े, वोह कहते हें के जो अलाह के कम में लग जाता हे अल्लाह उसके काम में लग जाता हे , नसीहत करना आसान हे अम्ल करना मुश्किल हे ,जहां जबर हे वहा जूनून हे जहां सब्र हे वहा सुकून हे , बा अदब बा नसीब हे बे अदब बे नसीब हे ।
हुजुर पैगम्बर फरमाते थे जिस दिल में बर्दाश्त की कुवत होती हे वोह कभी शिकस्त नहीं खाता ,झूंठ से गुरेज़ करो ,सब्र और शुक्र से बढ़ कर को मीठी चीज़ नहीं हे ,तालीम इंसान को अखलाक सिखाती हे ,अपनी सीरत ऐसी खुशबूदार कली की तरह बनाओ जिसकी महक से सभी जगह खुशबु हो अखलाक एक ऐसा हिरा हे जो पत्थर को काट देता हे , जब पैसा बोलता आहे तो सच्चाई खामोश हो जाती हे गाली का जवाब नेकी से दो क्योंकि कबूतर और कव्वे की बोली में फर्क हे ,सबसे बढ़ा अख्तावर वोह हे जो लोगों की बुराइयों का बयान करता हे अलाह के सिवाय किसी से उम्मीद मत रखो ,कुच्छ ऐसी ही शिक्षाएं हें जिन्हें ना हम मानते हें ना हमारे मोलाना मोलाना हे के धर्म को हर हाल में पेट पालने का साधन बनाना चाहते हें और हम हे के खुद इस्लाम को पढना अपनाना नहीं चाहते केवल नामा के ही मुसलमान हे हाजी हे लेकिन हमारी हरकतें उफ्फ्फ खुदा खेर करे कोई देखे तो सोचेगा क्या ऐसा होता हे इस्लाम इसलियें दोस्तों अपने अखलाक से ऐसा माहोल बनाओ के लोगों के जहन में जो इस्लाम की गलत तस्वीर बनी हे उसे अपने अखलाक से अपने समर्पण से बदल डालो ताके वोह कहें के अगर मखलूक उम्मत ऐसी हे तो इस कोम के रसूल केसे होंगे ............ । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
14 फ़रवरी 2011
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
अख्तर भाई, भाषा बहुत बोझिल हो गयी है। आम हिन्दुस्तानी में होती तो हम भी आसानी से ग्रहण कर सकते थे।
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी सूचनात्मक पोस्ट .बधाई .
जवाब देंहटाएंपैगम्बर हजरत मोहम्मद रज़ी अलाह ताला के बारे में ज्ञानवर्धक जानकारी के लिए बहुत-बहुत धन्यवाद
जवाब देंहटाएंगाली का जवाब नेकी से दो क्योंकि कबूतर और कव्वे की बोली में फर्क हे ----ek dam durusht farmaayaa....
जवाब देंहटाएं