आपका-अख्तर खान

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17 फ़रवरी 2011

यह आग केसी केसी .........

मेरे दिल में
तेरे
प्यार की आग
क्या
तेरे मिलन की
ठंडक से मिटेगी
मेरे तन की
यह आग
क्या
तेरे मिलन से
मिटेगी
लेकिन
मेरे जज्बात की आग
जो तुने भड़काई हें
न तेरे मिलन से
ना तेरे अश्कों से मिटेगी
बस सोच लो
इसके लियें तो
जो सियासत हे
मेरे देश की
जो बदली कहावत हे
मेरे देश की
जिसमे लिखते थे
मजबूरी का नाम महात्मा गाँधी
अब लिखना पढ़ रहा हे
मजबूरी का नाम मनमोहन सिंह
यह नई मजबूरी
इस देश से
हब हटेगी
बस अब तो
दिल में लगी यह आग
तब ही बुझेगी ................ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

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