तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
23 फ़रवरी 2011
निराला ज्यनीत पर हुए जो कार्यक्रम
निराला ज्यनीत पर कोटा के एडवोकेट कवि और साहित्यकार जनाब रघुनाथ मिश्र जी का सम्मान हुआ उनके कुछ मुक्तक पेश हें ....
भक्तों बिना भजन किया होगा
ज्ञान बिना चिन्तन किया होगा
हो घायल भाई -चारा जब
सर्जक, बोल सृजन क्या होगा .................
हर भरा आया बसंत
महक उठा हे दिग दिंगत
झूम रही हे नियत नहीं यूँ
दुःख दर्दों का हे बस अंत ............. संकलन अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
हर भरा आया बसंत
जवाब देंहटाएंमहक उठा हे दिग दिंगत
झूम रही हे नियत नहीं यूँ
दुःख दर्दों का हे बस अंत .
बहुत खूब,
Akhtar bhai ko aadaab,samachaar va muktak prakashan se vichaar logon tak pahunchaane ke liye dhanyavad.pahle muktak mein KYA ki jagah KIYA aur doosare mein NIYAT NATI KI JAGAH NIYAT NAHIN chhapne se (sahvan se) sampreshan samuchit nahin pahunch raha hai.sadhanyavad,
जवाब देंहटाएंaapka apna hi,
RAGHUNATH MISRA,ADVOCATE,3-K-30,TALWANDI,KOTA-324005(RAJASTHAN)PH:07442430201 MOB.09214313946 E-mail id:raghunathmisra@ymail.com