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22 जनवरी 2011

पत्थर हूँ में

पत्थर हूँ में
और
कई लोगों ने
मुझ पर
पत्थर मारा था
बस
दिल पर
एक ही
पत्थर लगा
क्योंकि
वोह पत्थर
किसी और ने नहीं
मुझे मेरे
अपनों ने
मारा था
देख लो
मुझे गोर से देख लो
तब से ही
पत्थर बन गया हूँ में
किसी ने मुझ पर
लाली लगाई हे
तो किसी ने
मुझ पर
दूध की
नदियाँ बहाई हें
किसी ने
मुझ से
उसकी जरूरतें
पूरी होने की
ख्वाहिशें उम्मीदें
लगाई हें
क्योंकि
पत्थर हो गया
हूँ में ........ ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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