कोटा में आज हज पर जाने वाले यात्रियों की सुविधा के लियें उन्हें वहां जाकर क्या अदब और अखलाक किस तरह से अपनाना चाहिए और उन्हें वहां क्या परेशानियां आ सकती हें उससे बचने के लियें क्या सावधानियां बरतना चाहियें इस मामले को लेकर प्र्हिक्ष्ण शिविर आयोजित क्या गया हे ।
कोटा में आयोजित इस शिविर में राजस्थान के गृह मंत्री शान्तिकुमार धारीवाल मुख्य अतिथि रहे हें , इ हिविर का आयोजन हज कमेटी कोटा के संयोजक डोक्टर जफर ने क्या हे जबकि शहर काजी अनवर अहमद इस शिविर के मुख्य प्रशिक्षक रहे हें यह शिविर कोटा में कई सालों से लगातार किया जा रहा हे इसमें हाजियों की सुविधा के लियें पहले से ही उनके टीकाकरण और दुसरे आवश्यक कार्य केम्प लगाकर किये जाते हें ताकि हाजियों को इधर उधर भटक कर प्रेषण ना होना पढ़े । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
26 सितंबर 2010
कभी फूल भी तो बाँट कर देखो
जमाने में
ऐ नफरत
बांटने
वालों
जरा खुद को बदलो
ईमान से
जमाने को फूल भी
बाँट कर तो देखो
बहुत बाँट लिए
लोगों को कांटे तुमने
जरा नजर तो उठाओं
चारों तरफ
शोर हे
धर्म का
लेकिन आज
जरा
कहीं
त्रिशूल बाँट कर तो देखो ,
ब्याज बहुत
खा लिया
महाजनों
गरीबों से तुमने
जरा इनको
अब इनका
मूल बाँट कर भी तो देखो
मत तलाशो
इधर उधर
अपने दिलों में
जरा झाँक कर
खुदा का नूर भी तो देखो
इतराओ मत
कल तो तुम्हें भी इसी में रमना हे
अपने कदमों के नीचे
झांक कर
जरा जूतों की धूल को तो देखो।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
ऐ नफरत
बांटने
वालों
जरा खुद को बदलो
ईमान से
जमाने को फूल भी
बाँट कर तो देखो
बहुत बाँट लिए
लोगों को कांटे तुमने
जरा नजर तो उठाओं
चारों तरफ
शोर हे
धर्म का
लेकिन आज
जरा
कहीं
त्रिशूल बाँट कर तो देखो ,
ब्याज बहुत
खा लिया
महाजनों
गरीबों से तुमने
जरा इनको
अब इनका
मूल बाँट कर भी तो देखो
मत तलाशो
इधर उधर
अपने दिलों में
जरा झाँक कर
खुदा का नूर भी तो देखो
इतराओ मत
कल तो तुम्हें भी इसी में रमना हे
अपने कदमों के नीचे
झांक कर
जरा जूतों की धूल को तो देखो।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
दरिन्दे
देखो तुम भी देखो
यही हें
खुदा के बंदे
जो आज
हो गये हें दरिन्दे ,
चारों तरफ अन्धेरा हे
भूख हे ,गरीबी हे , भ्रस्टाचार हे
जिधर नजर घुमाओं
उधर देखो
बस म़ोत के फंदे ही फंदे
हम जनता हें
हम बेचारों का क्या
हमारे
नेता तो हें
सय्याद हमारे
और हम
बस इन व्यापारियों के
बस केद में हें परिंदे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
यही हें
खुदा के बंदे
जो आज
हो गये हें दरिन्दे ,
चारों तरफ अन्धेरा हे
भूख हे ,गरीबी हे , भ्रस्टाचार हे
जिधर नजर घुमाओं
उधर देखो
बस म़ोत के फंदे ही फंदे
हम जनता हें
हम बेचारों का क्या
हमारे
नेता तो हें
सय्याद हमारे
और हम
बस इन व्यापारियों के
बस केद में हें परिंदे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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