दोस्तों यह तो सब को पता हे के मोहर्रम मुसलमानों के लियें नये साल का पहला महीना हे और इस महीने में इस्लाम की सुरक्षा के लियें दुःख तकलीफ में रहने के बाद भी तडपा तडपा कर मारने के बाद भी शहीद लोग इस्लाम की राह से डिगे नहीं थे इसलियें इस महीने की अहमियत और बढ़ गयी हे इस माह में हलीम यानि सभी अनाजों को यानि दल,चांवल,गेंहू वगेरा को मिलाकर एक विशेष डिश बनाई जाती हे और फिर भूखों को खाना प्यासों को पानी दे कर सेवा की जाती हे ।
मोहर्रम की दस तारीख को योमे अशुरा भी कहते हें मुसलमान इसी दिन को इस्लाम के इतिहास का अहम दिन मानते हें इस दिन आदम अलेहस्सलाम की तोबा कुबूल की गयी थी इसी दिन हजरत युनुस अलेहस्स्लाम को मछली के पेट से नुजात मिली थी , इसी दिन हजरत इब्राहिम अलेह्स्स्लाम पैदा हुए ,और इसी दिन हजरत मूसा अलेहस्स्लाम और उनकी कोम को फिरोन से छुटकारा मिला ,हजरत दाउद अलेहस्स्लाम की तोबा कुबूल हुई हजरत युसूफ अलेह अस्सलाम कुए से निकले गये याकूब अलेहस्स्लाम की आँखों की रौशनी लोटी इसी दिन हजरत इसाह अलेहस्स्लाम की पैदाइश हुई और इसी दिन हजरत इमाम हुसैन और उनके रुफ्का ने मैदाने कर्बला में जामे शहादत पी कर इस्लाम को जिंदा कर दिया उनके पास एक तो अधीनता का विकल्प था और दुसरा शहादत का विकल्प था लेकिन उन्होंने शहादत को ही चुना । आम मुसलमान इस दिन रोजा रखते हें और इस रोज़े का बहुत बढ़ा सवाब माना जाता हे इस दिन मरीजों की तीमारदारी,यतीमों की खिदमत,और सेवा भाव से इबादत करना चाहिए , कहते हें इसी दिन कयामत नाजिल होगी और जिस मुसलमान का रोजा होगा उसे जन्नत नसीब होगी । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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