आपका-अख्तर खान

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25 दिसंबर 2010

बोलो कम सुनो ज्यादा

दोस्तों
आप सभी जानते हें
जब हम बोलते हें
तो हम वही बोलते हें
जो हमे पहले से पता होता हे
लेकिन सोचो जरा सोचो दोस्तों
जब हम
किसी दुसरे को
ख़ामोशी ,धेर्य और संयम से सुनते हें
उसे पढ़ते हें
तो फिर हमें वोह सब मिलता हे
जो नया एक दम नया होता हे
हमें उसके बारे में
पता नहीं होता हे
यही हमारे लियें
नई जानकारी हे
सो प्लीज़
मेरी बात पर
जरा गोर करना
हैप्पी गुड मोर्निंग ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. वाह........ कमाल का लिख रहे है आप ।

    बोलो कम सुनो ज्यादा
    पा जाओगे हर इक इरादा

    जवाब देंहटाएं

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

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