मां
पहले भी रोती थी
आज भी रोती हे
पहले
बच्चा जब खाना नहीं खाता था
तब मां बच्चे को
भूखा देख कर रोती थी
आज बच्चे जब बढ़े हुए हें
घर में बहु आई हे
मां तब भी रोती हे
फर्क इतना हे जब
बच्चे के रोती नहीं खाने पर रोती थी
आज बहु बेटे
उसे रोती नहीं देते
इसलियें मां रोती हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
06 दिसंबर 2010
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क्या कहा जाये मगर कितने ही घरों की कहानी है यह!
जवाब देंहटाएंदुखद सत्य है.....
जवाब देंहटाएंअकेला जी
जवाब देंहटाएंनमस्कार
बहुत मार्मिक भाव लिए है आपकी कविता ...वर्तमान पारिवारिक संबंधों को उद्घाटित करती हुई .....शुक्रिया