इंसान कभी
आतंकवादी नहीं
हो सकता
और आतंकवादी
कभी इन्सान
नहीं हो सकता
सोचो
रौशनी में जीने वाले
चिरागों को
क्यूँ बुझाएंगे
जो मुर्दों तक को
नहीं जलाते
वोह
जिदों को क्यूँ जलाएंगे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
19 नवंबर 2010
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जो मुर्दों तक को
जवाब देंहटाएंनहीं जलाते
वोह
जिदों को क्यूँ जलाएंगे
बहुत खूब जनाब. मज़ा आ गया