पर्दा जब भी उठा
हर शख्स
मुझे बे लिबास दिखा हे
जुबां पर अपनापन
दिलों में ज़हरीला
खंजर दिखा हे
इलाही
जिन्हें मेने अपना समझा
उनका
बेवफाई का
यह अजीब मंजर
मुझे क्यूँ दिखा हे ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
29 नवंबर 2010
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shaandaar
जवाब देंहटाएंmubaraq !
यही ज़िन्दगी की तल्ख हकीकत है।
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