कुछ यूँ चले
मेरे इस देश में
अमन और वफा की
ताज़ा हवा
शाम और सहर ,
लहरायें फसले
खशीयों की
बिखरे हवाएं
प्यार मोहब्बत अपनेपन की
मेरे इस
देश का इतिहास
बयाना करें
आएज और कल
कुछ ऐसा हो
के लोग यहाँ के
बस खुश ही खुश रहें
शाम और सहर ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
आपको एवं आपके परिवार को दिवाली की हार्दिक शुभकामनायें!
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