आपका-अख्तर खान

हमें चाहने वाले मित्र

07 अक्टूबर 2010

इंसान की जिंदगी केसी केसी

सुबह सवेरे
इन्सान का जन्म हे ,
सुबह
जब किकारती हें नदियाँ
चेह्चाती हें चिड़ियें
जब इंसान का बचपन होता हे ,
दोपहर जब तपता हे सूरज
तब इन्सान की जवानी हे
रात जब होने लगती हे
तो फिर वोह जवानी का उतार हे
अँधेरी रात हुई अगर
तो बस समझो वोह बुढापा हे
तो दोस्तों यही जिंदगी हे
नहीं नहीं यह जिंदगी नहीं हे
क्योंकि सूरज रोज़ निकलेगा
सुबह रोज़ होगी
रात रोज़ होगी
दोपहर रोज़ होगी
लेकिन हम होंगे या नहीं होंगे
यह कोई पक्का भरोसा नहीं हे
तो दोस्तों उठों
इस अनमोल अनिश्चित जिंदगी को
जब तक खुदा ने इसे हमें दी हे
हंस कर ,बोलकर,प्यार , भाई चारा बाँट कर
जी डालें क्यूंकि यही तो हे जिंदगी ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

Related Posts Plugin for WordPress, Blogger...