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23 अक्तूबर 2010

दुखुराम का दुःख

छत्तीस गढ़ के एक व्यक्ति न्याय की तलाश में तारीखों पर आते आते इस हद तक बोखला गया के उसने डाय्ज़ पर बेठे जज साहब की टेबल पर ३०० रूपये रख दिए और जल्दी ही फेसला कर देने की गुहार लगा डाली । तारीखों पर फेसले के इन्तिज़ार में आते आते पागल होने वालों की यह कोई नई दास्ताँ नहीं हे हमारे कोटा में भी कई दर्जन लोग तारीख भुगतते भुगतते पागल जेसे हो गये हें , एक होटल मल्लिक ने तो उपभोक्ता जज को तारीख देने वाला बाबु समझ कर मनचाही तारीख देने के लियें जबरन दस रूपये हाथ में पकड़ा दिए थे तो दुसरे वकील पक्षकार ने खुद के मामले में बार बार तारीख मिलने से तंग आकर मजिस्ट्रेट के थप्पड़ मर दिया था , देश में इन दिनों तारीख पेशी के नाम पर और दुसरे मामलों में कर्मचारियों की श्थिति बहुत बहुत खराब हे वोह बिना फिल गुड के फाईल आगे नहीं सरकाते इस मामले में विजिलेंस को खुद अचानक छापामार कार्यवाही करवाकर ऐसे लोगों को बेनकाब करना चाहिए क्योंकि अधिकतम रीडर बाबु तो जज साहब की ऑंखें बचा कर उनकी उपस्थिति में ही रिश्वत लेते हें और इसीलियें जनता पक्षकार इस मामले में न्यायिक अधिकारीयों को भी इन सब से जोड़ कर देखने लगी हे जबकि अभी न्यायिक अधिकारी रिश्वत खोरी से कोसों दूर हें बस मेले ठेले और दुसरे मनोरंजन खान पण की म्ह्माना नवाजी का मजा मुफ्त में जरुर लेते हें आने जाने के लियें पेट्रोल डीजल गाड़ी ले लेते हें । अख्तर खान अकाल कोटा राजस्थान

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