राजस्थान में सरपंचों को चोर कहने और उनके अधिकारों में अलोकतांत्रिक तरीके से कटोती के खिलाफ आंदोलनरत सरपंचों के महापड़ाव को असफल करने के लियें कोंग्रेस ने लाठी गोली और दमन का जो चक्र चलाया हे उससे आज राजस्थान में कोंग्रेस और भाजपा के बीच जबर्दस्त लढाई छिड गयी हे इस लड़ाई में खबरे मेनेज कर लोगों को दिखाने के मामले में एक तिव चेनल की सोदेबाज़ी के किस्से भी आम होने लगे हें । जयपुर में दो दिन पहले सरपंचों की भीड़ पर पुलिस ने लाठिवार किया था और उन्हें भगा भगा कर मारा था । कोंग्रेस के विधायक रघु शर्मा ने सरपंचों की मांगों की उपेक्षा के मामले में पंचायत मंत्री भरत सिंह को दिमागी बीमार कहकर डोक्टर को दिखाने की सलाह तक दे डाली थी उसी के बाद भरत सिंह ने पहले तो समिति का गठन किया फिर सरपंचों को चो नहीं कहने के मामले में सफाई दी । सरपंचों पर पुलिस लाठिवार के बाद भाजपा विधायकों ने सरपंचों की दद की और उनके हने पीने की व्यवस्था की बस मुद्दा कहीं भाजपा के पास नहीं चला जाए इसी लियें आज जयपुर में सुबह सवेरे पुलिस ने अलोकतांत्रिक प्रक्रिया अपना कर नंगा खेल किया सरपंचों और उनके समर्थकों विद्धाकों और संसद किरोड़ीलाल मीणा को भी गिरफ्तार कर लिया गया जहां धरना प्रदर्शन रेली का कार्यक्रम था उसे प्रतिबंधित इलाका घोषित कर कर्फ्यू जेसा माहोल बना दिया गया कुल मिला कर सरपंचों की रेली फ्लॉप हो गयी और इस के विरोध में जब पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा सिंधिया ने राज्यपाल को ग्यापने देने जाना चाह तो उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया बाद में उन्हें पूर्व में गिरफ्तार विधायकों को छोड़ने की शर्त पर रिह किया गया । जयपुर में इस घटना के बाद कोंगरे और भाजपा में भिर्कुतियाँ तन गयी हें आस्तीनें चद गयी हें और वाकयुद्ध ज़ोरों पर हे कोंग्रेस ने मेनेज कर एक टीवी चेनल को खरीदा और पहले मुख्यमंत्री फिर प्रयत्न मंत्री बिना काक फिर ग्रहमंत्री शान्ति धारीवाल की धमाकेदार प्रेस कोंफ्रेंस दिखाई गयी आधी अधूरी खबर दिखाई खबर में भाजपा को राज्य में अराजकता फेला कर हिंसा फेल्वाने का आरोप लगाया गया समाज कंटकों को भेज कर सरपंचों को भडकाने का आरोप लगाया गया और कोंग्रेस को ही एक मात्र सरपंचों की रक्षक पार्टी बताया गया इधर भाजपा अचानक इस हमले से संस्त में थी लेकिन अब वोह वापस सामान्य हो गयी हे और वः भी अपने मिडिया कर्मियों के माध्यम से सरकार की काली करतूतों को उजागर करने के मुड में हे ,
राजनितिक विश्लेषक कोंग्रेस के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की इस कदम को जायज़ नहीं मानते उनका मानना हे इसे राज्य और कोंग्रेस का भला होने अल नहीं हे पहले के कार्यकाल में गहलोत ने कर्मचारियों को नराज़ किया था जो कर्मचारियों ने गहलोत की जीती हुई बाज़ी हार में बदल कर गहलोत को पटखनी दी थी उसके बाद गहलोत इस कार्यकाल में कर्मचारियों को माई बाप समझ रहे हें लेकिन लगता हे अगली बार गहलोत को सरपंच चाहे कोंग्रेस के हों चाहे भाजपा के सबक सिखा कर रहेंगे और इसका नुकसान चुनावों में कोंग्रेस को हर हाल में भुगतना होगा । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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