आपका-अख्तर खान

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14 सितंबर 2010

निरक्षर इज्जत पाते हें ...

अल्लाह
यह केसी सजा हे
अनपढ़ हें
जो लोग
काले गोरखधंधों से
रूपये कमाते हें ,
रूपये कमाकर
यही लोग
शहर में इज्जत
की जगह
पाते हें ,
पढ़े लिखे
बेचारों का क्या
वोह तो
इन बे पढों के यहाँ
नोकरी लगवाने के लियें
चक्कर लगाते हें ,
यह तो
बेचारे पढ़े लिखे हें
इनके रोज़गार तो बस
किताबों में ही
दफन हो जाते हें ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

8 टिप्‍पणियां:

  1. बहुत सही......... अपनी रचना अपने परिचय और अपनी तस्वीर के साथ मुझे मेल कर दें
    rasprabha @gmail .com

    जवाब देंहटाएं
  2. सच्चाई उकेर कर रख दिया......

    जवाब देंहटाएं
  3. हकीकत बयां करती पोस्ट है.....
    सही स्थिति उकेरी है हमारी शिक्षा और डिग्रियों
    की ...... अच्छा लगा पढ़कर ।

    जवाब देंहटाएं

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