जिस्म इंसानी
आत्मा शेतानी
ऐ नक्सली
तुम केसे हिन्दुस्तानी ,
बिना किसी बात के
खून अपने भाइयों का
बहाते हो ,
मां की गोद उजाड़ते हो
तो दूसरी तरफ जवान महिलाओं को
विधवा बनाते हो ,
ऐ नक्सलियों
क्यूँ नाहक
निर्दोषों का खून बहाते हो ,
बात जो तुम्हारी हे
मांग जो तुम्हारी हे
जनता के जरिये
सरकार को क्यूँ नहीं बताते हो
नहीं सुनती गर सरकार तुम्हारी
तो फिर इस लोकतंत्र में
तुम क्यूँ अपना हक नहीं जताते हो
अरे दूसरी पार्टियों के देने से समर्थन
तो यह अच्छा हे
मुख्य धारा में जुड़ जाओ तुम
चुनाव तुम लड़ो
जित कर सरकार बनाओ तुम
फिर क्यूँ तुम अपनी
मांगें नहीं बताते हो
जो ज़िम्मेदार हें
तुम्हारी इस हालत के लियें
सबक उन्हें सिखाना हे
चेहरे उनके देश को दिखाना हे
ऐ नक्सलियों उठों खुद को खुद से मिलाओ
नजर जरा जिन्हें विधवा तुमने किया हे
उनसे आकर मिलाओ
निकल कर फेंक दो
आत्मा तुम्हारे अंदर घुसी राक्षसी
अब तुम भी आम हिन्दुस्तानी बन जाओ
इंसान बनो इंसानियत लाओ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 सितंबर 2010
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रूहानी भोजन क्या है ?
जवाब देंहटाएंजहां खुदा ने हवा-पानी, मौसम-फ़सल और धरती-आकाश बनाया ताकि लोगों के शरीरों की ज़रूरतें पूरी हों, वहीं उसने उनके लिए अपनी इबादत निश्चित की ताकि वे न भटकें और उनके मन-बुद्धि-आत्मा की ज़रूरतें पूरी हों।
आज इनसानी आबादी का एक बड़ा हिस्सा भूखा सोता है और जो लोग खा-पी रहे हैं उनके भोजन में भी प्रोटीन, विटामिन्स और मिनरल्स आदि ज़रूरी तत्व सही मात्रा में नहीं होते, यह एक हक़ीक़त है। ठीक ऐसे ही आज बहुत से लोग नास्तिक बनकर रूहानी तौर पर भूखे-प्यासे भटक रहे हैं लेकिन न तो वे अपनी भूख-प्यास का शऊर रखते हैं और न ही यह जानते हैं कि उन्हें तृप्ति कहां और कैसे मिलेगी ?
धर्म के नाम पर अधर्म क्यों ?
जो लोग समझते हैं कि वे मालिक का नाम ले रहे हैं, ईश्वर का नाम ले रहे हैं, उसका गुण-कीर्तन कर रहे हैं, उनका भी बौद्धिक और चारित्रिक विकास नहीं हो पा रहा है क्योंकि न तो उनकी श्रद्धा और समर्पण की रीति सही है और न ही उन्हें सही तौर पर रूहानी भोजन के सभी तत्व समुचित मात्रा में मिल पा रहे हैं और वे इसे जानते भी नहीं हैं।
जो लोग मालिक की बताई रीति से पूजा-इबादत नहीं करते और अपनी तरफ़ से भक्ति के नये-नये तरीक़े निकालते हैं और समझते हैं कि वे उसके भजन गा रहे हैं, उसकी तारीफ़ कर रहे हैं और उनकी स्तुति-वंदना से प्रसन्न होकर वह उनकी कामनाएं-प्रार्थनाएं पूरी करेगा, वास्तव में वे लोग उस सच्चे मालिक पर झूठे इल्ज़ाम लगा रहे होते हैं, उसे गालियां दे रहे होते हैं। जिससे मालिक नाराज़ हो रहा होता है और वे अपने घोर पाप के कारण उसके दण्ड के भागी बन रहे होते हैं।
मालिक बेनियाज़ है, बन्दे उसके मोहताज हैं
जवाब देंहटाएंकुछ लोग पूछते हैं कि सर्वशक्तिमान ईश्वर को लोगों की पूजा-इबादत की क्या ज़रूरत है ? वह क्यों हमारे मुंह से अपनी तारीफ़ सुनना चाहता है ?, उस मालिक को हमारे रोज़ों की क्या ज़रूरत है ?, वह क्यों हमें भूखा रखना चाहता है ?
हक़ीक़त यह है कि लोगों का ऐसे सवाल करना यह बताता है कि वे इबादत के मूल भाव को नहीं समझ पाए हैं इसलिए ऐसे सवाल कर रहे हैं। नमाज़-रोज़ा दीन का हिस्सा हैं, उसका रूक्न हैं। दीन की ज़रूरत बन्दों को है जबकि उस मालिक को न दीन की ज़रूरत है और न ही बन्दों की, वह तो निरपेक्ष और बेनियाज़ है।
इबादत का अर्थ क्या है ?
‘इबादत‘ कहते हैं हुक्म मानने को। नमाज़ भी इबादत है और रोज़ा भी। बन्दा हुक्म मानता है तभी तो नमाज़-रोज़ा अदा करता है और फिर नमाज़-रोज़े ज़रिये के ज़रिये उसमें जो सिफ़तें पैदा होती हैं उनके ज़रिये वह ‘मार्ग‘ पर चलने के लायक़ बनता है, और ज़्यादा इबादत करने के क़ाबिल बनता है। इबादतों के ज़रिये उसके अंदर विनय, समर्पण, सब्र, तक़वा, हमदर्दी, मुहब्बत और कुरबानी की सिफ़तें पैदा होती हैं, जिनमें से हरेक सिफ़त उसके अंदर दूसरी बहुत सी सिफ़तें और खूबियां पैदा करती हैं। जो बन्दा खुद को खुदा के हवाले कर देता है और उसके हुक्म पर चलता है जोकि तमाम खूबियों का असली मालिक है, उस बन्दे के अंदर भी वे तमाम खूबियां ‘डेवलप‘ हो जाती हैं जोकि उसे ‘मार्ग‘ पर चलने में सफल बनाती हैं, उसे उसकी सच्ची मंज़िल तक पहुंचाती हैं। इबादत के ज़रिये बन्दा अपने रब से जुड़ता है और इबादत के ज़रिये ही उसके अंदर ये तमाम खूबियां डेवलप होती हैं, इसलिए इबादत बन्दों की ज़रूरत है न कि खुदा की।
नक्सलवाद को कोसने से काम नहीं चलेगा , रब को याद करो और जो हक उसने मुक़र्रर किया है उसे अदा करें सभी लोग तभी मिलेगी शांति वरना ये तबाही तोhttp://vedquran.blogspot.com/2010/09/real-sense-of-worship-anwer-jamal.html बढती ही जाएगी .
जवाब देंहटाएंसही सन्देश देती अच्छी रचना .
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