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15 अगस्त 2010

अखबार कानून तोड़ कर खुले आम चमत्कारिक दवाओं के विज्ञापन दे रहे हें

देश में अखबारों का आज़ादी के आन्दोलन में प्रमुख भूमिका रही हे हर कदम पर आज़ादी के दीवानों को उत्साह और जोश देकर अंग्रेजों की काली करतूतों को उजागर कर अखबार इस लड़ाई में सेद्धान्तिक रूप से शामिल रहे हें , लेकिन आज देश भक्ति के नाम पर मिशन चलाने वाले यह अखबार शुद्ध रूप से व्यवसायिक हो गये हें और हालात यह हें के थोड़े से फायेदे के लियें देश का कानून तोड़ कर अखबार में ऐसे अश्लील,प्रतिबंधित दवाओं के विज्ञापन प्रकाशित किये जा रहे हें जो प्रकाशक खुद अपनी बहन बेटियों और बच्चों के सामने पड़ने में असमर्थ हें।
देश में चमत्कारिक ओषधि उपचारिक प्र्तिब्न्चित अह्दिनिय्म बनाया गया हे जिसमें चटकार से यानी तन्त्र मन्त्र , सिद्धि,चमत्कारिक अंगूठी, या किसी भी प्रकार के चप्म्त्कार से इलाज करने और इसका विज्ञापन देने पर कानूनी रोक हे , इसी तरह से जिन बीमारियों का इलाज सम्भव नहीं हे या जो दवाएं स्वास्थ्य पर विपरीत असर डालती हें उन दवाओं के विज्ञापन पर भी रोक हे जेसे सेक्स,महिला के मासिक धर्म का इलाज,महिला के बांझपन का इलाज सहित जिन दवाओं से सेक्स के मजे की बात होती हो वोह सभी दवाएं प्रतिबंधित श्रेणी में रखी गयी हें और इन दवाओं का विज्ञापन अखबारों में छापना प्रतिबंधित हे । लेकिन दोस्तों आप देखते होंगे के चाहे सिद्धांतों की बात करने वाले अखबार पंजाब केसरी जी हो राजस्थान के राजस्थान पत्रिका, देनिक भास्कर,देनिक नवज्योति हों सभी खुल कर इस तरह के प्रतिबंधित विज्ञापन छाप कर देश का कानून तोड़ रहे हें इतना ही नहीं इन विज्ञापन प्रकाशन के वक्त जो अश्लील फोटो अश्लील भाषा का इस्तेमाल होता हे वोह इतनी अब्ध्र गंदी होती हे के परिवार में पढने योग्य नहीं हें, अखबारों में लिंग वर्धक मशीन का विज्ञापन , सेक्स के मजे केसे लें का विज्ञापन,महिलाओं के स्तन उभरने के विज्ञापन आम बात हो गयी हे ।
दोस्तों कानून हे के कोई भी दवा का विज्ञापन नहीं दिया जाएगा दूसरा कानून हे के ड्रग एक्ट के तहत कोई भी व्यक्ति बिना चिकित्सक के परामर्श के ना तो दवा खरीदेगा और ना ही कोई ऐसी दवा बेच सकेगा लेकिन कोटा सहित सारे देश में इस तरह की दवाएं बिक रही हें जिसमें चिकित्सकों की सलाह शामिल नहीं हे हालात यह हें के देश की युवा पीडी इन विज्ञापनों के झांसे में आकर दिनों दिन बर्बाद हो रही हे , इस मामले में प्रतिबन्ध के लियें कानून बने हें लेकिन सरकार और अधिकारी हें के कानों में रुई डाल कर बेठे हें ।
अखबार छापने का एक कानून हे इसमें कलेक्टर के समक्ष प्रकाशक घोषणा करता हे के वोह भारत के कानून की मर्यादाओं में ही अखबार का प्रकाशन करेगा इसके उल्न्ग्घं पर अखबार का पंजीयन,लाइसेंस निरस्त करने का प्रेस पुस्तक पंजीयन कानून में प्रावधान हे , लेकिन हमारे कलेक्टर , जनसम्पर्क विभाग ऐसा नहीं करते पुईस हाथ पर हाथ धरे बेठी रहती हे और अखबार मालिक सम्पादक इतने नकटे हो गये हें के वोह मानने को तय्यार नहीं।
कोटा में हम लोगों ने इस मामले में मुहीम चलाई पहले सभी बड़े अखबारों के मालिक स्थानीय सम्पादकों को व्यक्तिगत समझाया कानून की प्रतियाँ उपलब्ध करायीं जिसमें ऐसे उल्न्न्घं पर पुलिस द्वारा मुकदमा दर्ज कर दो वर्ष की सजा का प्रावधान हे , नहीं माने तो कोटा कलेक्टर,आईज पुलिस,मुख्यमंत्री से शिकायत की बड़ी मुश्किलों में कोटा कलेक्टर ने इस मामले में पुलिस अधीक्षक को विज्ञापन रुकवाने और प्रकाशन करने वाले अखबारों के खिलाफ कार्यवाही के आदेश दियें , कुछ दिन विज्ञापन का प्रकाशन रुका लेकिन बाद में पुराने एस पी के चले जाने नये एस पी के आजाने से फिर से बेहूदा विज्ञापनों का डोर चुरू शिकायत की गयी पुलिस ने कचरे की टोकरी में दल दी फिर शिकायत की गयी लेकिन पता चला एस पी इन अख़बारों के दफ्तरों में मेहमान बन कर जा रहे हें , मजबूरी में हमें अदालत का सहारा लेना पढ़ा अदालत ने ऐसे विज्ञापन प्रकाशित करने वाले अखबारों और प्रकाशकों के खिलाफ उन्हें अभियुक्त मानकर प्रसंज्ञान लिया और उन्हें सम्मन से न्याय्याली में तलब किया हे लेकिन होसला देखो के ऐसे अखबार आज भी सभी प्रकार के गंदे,अश्लील.प्रतिबंधित विज्ञापन छाप रहे हें हालात यह हें के शहर का कोई भी बुद्धि जीवी इस मामले में कोई कार्यवाही नहीं कर रहा हे पुलिस,प्रशासन,सरकार सब असहाय हे लेकिन इस अश्लीललता और युवा पीडी को बर्बाद करने वाले विज्ञापनों को रोकने के लियें जारी लड़ाई में हम ना हारे हें ना थके हें हमारी मुहीम जारी हे और ह्मेंर आप लोगो के आशीर्वाद,प्यार की जरूरत हे हम वादा करते हें के एक दिन इस कानूनी लड़ाई को हम जित कर दिखाएँगे और फिर इस मामले में दोषी जो भी हो उसे दंडित करवाकर एक उदाहरण जरुर पेश करेंगे। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

3 टिप्‍पणियां:

  1. अखबार कानून तोड़ कर खुले आम चमत्कारिक दवाओं के विज्ञापन दे रहे हें
    ye to aaj ki sachai ban chuka..

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  2. आज की दुनिया का कटु शाश्वत वास्तविक सत्य ..

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  3. स्तरीय सामग्री को परोस कर सत्य को उजागर कर आपने पाठकों पर बड़ा उपकार किया है। सद्भावी -डंडा लखनवी
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