जिंदगी के
आखरी
मोड़ पर
लगा रहा था
में जिंदगी के लम्हों का
हिसाब
हर पन्ने पर
लिखे थे
किस्से गम के
तुम्हारे
इसलियें
आखरी लम्हे में
बस तुम ही
बहुत याद आये।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
20 अगस्त 2010
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हर पन्ने पर लिखे थे किस्से गम के"
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा लिखे खान साहिब.
का बात लिखे हैं अख्तर भाई...याद का ऐसा टीस त कोई भावुक आदमी ही बयान कर सकता है..
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