ना हो खुलूस
दिलों में
तो भी
जहर के
घूंट पीकर
दुनिया दिखावे के लियें
हंस कर मिलना हे जरूरी ।
दोस्तों
आप ही बताओ
जिंदगी में
रस्में निभाने की
केसी हे यह मजबूरी ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
19 जुलाई 2010
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bahut badhiyaa !
जवाब देंहटाएंअख्तर भाई अस्सलाम-वालेकुम!
जवाब देंहटाएंजनाब बहुत बहुत शुक्रिया की आपने अपना कीमती वक़्त निकाला मेरे ब्लॉग पर आने के लिए!
मालिक हम भी ब्लॉग की दुनिया के ही बाशिंदे हैं! आपको पढ़ कर बहुत ही ख़ुशी मिली हमें!
मैं तो आता ही रहूँगा आपके ब्लॉग पर आपके दीदार-ए-ख़ास करने, उम्मीद है की आप भी अपनी टिप्पणियों से कृतार्थ करते रहेंगे!
आपकी रचना पढ़ के लगा की कोई भाई मिल गया हो!
आफरीन रचना!