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14 जुलाई 2010

मोर पंख पर पाबंदी से जेन समाज में नाराजगी

देश में वन्य जीव संरक्ष्ण अधिनियम के प्रावधानों में संशोधन कर राष्ट्रीय पक्षी मोर के पंखों को किसी भी व्यक्ति के पास रहने पर पाबंदी लगा दी गयी हे सरकार का मानना हे के मोर पंख के लालच में मोर पंख के प्रेमी राष्ट्रीय पक्षी मोर की बेरहमी से हत्याएं कर रहे हें और इसी कारण मोरों की संख्या में कमी आ रही हे मोर पंखों की पाबंदी से देश के जेन समाज में खलबली मच गयी हे और जेन समाज ने इस पर एतराज़ जताया हे जेन समाज के लोगों का कहना हे के जेन समाज के प्रखंड पंडित और साधू साध्वी मोर पंख की पिन्चिया बनाकर साफ़ सफाई को काम में लेते हे और अधिकतम झाड लगाने के लियें साधू संत मोर के नखों की पिंची का ही इस्तेमाल करत हें ऐसे में अगर मोर पंख को प्रतिबंधित कर दिया गया तो जेन समाज के धर्म से जुड़े लोगों को परेशानी पैदा होने की संभावनाए बढ़ जायेंगी ऐसे में जेन समाज के भाइयों की भावनाओं को ध्यान में रखते हुए जेसे आर्म्स एक्ट में कृपान रखने के मामले में सिख समाज को छुट हे इसी तरह से विशेष प्रावधान बना कर यदि वन्यजीव संरक्ष्ण अधिनियम के प्रावधानों में मोर पंख जेन समाज द्वारा पिंची बनाने या धार्मिक कार्यों में उपयोग में लेने पर विशेष कानूनी छुट का प्रावधान बनाना चाहिए । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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