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26 जुलाई 2010

अबुसलेम जेल में सुविधा और फिर हमला

देश का सबसे खूंखार डोन अमन चेन कानून का दुश्मन अबू सलेम पहले तो अपनी शर्तों पर भारत आया और फिर अपनी शर्तों पर ही यहा भारत की जेल में रह रहा हे उसके लियें जेल कानून पिरिज़न एक्ट कोई मायने नहीं रखता रहते विदेश में हें और लम्बे हाथ देश में हें । पिछले दिनों अबू सलेम पर मुंबई जेल में हुए हमले के बाद पोलें खुलने लगी हें वर्षों से जो अबुसलेम ठंडे बसते में बंद था उसका जिन मीडिया ने फिर बाहर ला खड़ा किया हे अब उसके नाम से फिर शायद मुंबई में अवेध चोथ वसूलियों का डोर शुरू हो जाएगा , दोस्तों देश में किस प्रकार के अभियुक्त को जेल में किस तरह रखा जाएगा इसका कानून बना हे जेल में क्या कार्यवाही केसे होगी इसका भी कानून बना हे लेकिन चंद रुपयों के खातिर जब अधिकारी इन कानूनों को ताक में रख दें तो फिर उन्हें जेल की ना तो अंदरूनी खबरें मिलेंगी और नाही जेल के केदियों पर ऊनका कोई दबाव रहेगा मुबई जेल में भी ऐसा ही कुछ हो रहा हे अबू सलेम किया जेल में पिट सकता हे दौड़ के गुर्गे किया उसपर हमला कर सकते हें और अगर हमला हो तो किया अबू सलेम बच सकता हे यह ऐसे सवाल हें के हमले की कहानी प[र दुबारा सोचने पर मजबूर करते हें अबू सलेम ने जब जो चाहा अपनी मर्जी से उसने लिया हे किया यह अबू सलेम की खुद की सोची समझी साज़िश तो नहीं जिसका शिकार हमारी महाराष्ट्र सरकार हो रही हे इन सवालों पर फिर से विचार कर चिन्तन मंथन करने के बाद ही कोई कदम उठाना चाहिए वरना हम इन आतंकवादियों के हाथों की कठपुतली बन कर रह जायेंगे मीडिया भी मुर्दों को जिलाना चाहता हे इससे खबरों का तो पता नहीं लेकिएँ अबू सलेम के गुर्गों की चोथ्वुली की कीमत बढ़ जायेगी। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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