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27 जुलाई 2010

महंगाई पर बहस से सरकार क्यूँ घबरा रही हे

देश में लोसभा में विपक्ष एक जुट होकर महंगाई पर बहस करना चाहता हे लेकिन सत्ता पार्टी हे के विपक्ष की इस जनता से जुडी मांग को मान ही नहीं रही हे हालात यह हें के विपक्ष को अपनी वाजिब मांग मनवाने के लियें हंगामा करना पढ़ रहा हे देश में कोंग्रेस ने सभी आवश्यक वस्तुओं के दाम फाइनेंस एक्ट के खिलाफ बजट स्तर से अलग हट कर लोकसभा में डिस्कस कियें बगेर बढाये हें और अगर महंगाई ज्यादा क्यूँ हुई इसको कम केसे किया जा सकता हे इस मामले में वाद विवाद के लियें विपक्ष लोकतांत्रिक तरीके से बहस चाहता हे तो जनहित में बुरा किया हे इस लोकतंत्र के लियें इससे बुरी बात किया होगी के पहले तो विधि विरुद्ध प्रक्रिया अपना कर दाम बढा दो और फिर जब संसद में बहस करना चाहे तो पोल पट्टी ना खुले इसके लियें लोकतांत्रिक तरीके से सुझाव प्रक्रिया को भी पूरी नहीं होने दो आप बताइए जब संसद में और दुसरे मामलों में बहस होगी तो फिर इस मुद्दे से सरकार क्यूँ भाग रही हे अगर विपक्ष इस बहस में हिस्सा लेना चाहता हे तो क्या बुराई हे सरकार को अधि से अधिक सदन की कार्यवाही एक दिन दो दिन ही तो बढाना पढ़ सकती हे तो फिर संसद की कार्यवाही जनहित में बढाने में क्या एतराज़ हे लेकिन भाई यहाँ गांधी की कोंग्रेस हे अब पहले के गांधी और आज के गांधी में फर्क हे इसलियें लोकतंत्र का खुलेआम गला घोंटा जा रहा हे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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