आपका-अख्तर खान

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22 जुलाई 2010

तेरी चाहत

दिल में
मिलन की तुझ से
चाहत लिए
बेठा था दर पे में ,
हर आहट पे
यूँ बेताबी से
उठ कर
खोलता दरवाज़ा में
के जेसे तुम आ गये
लेकिन हर बार
बस तुम नहीं
तुम्हारा साया नहीं
तुम्हारी खुशबु नहीं
बस
होता था
झोंका हवा का ।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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