आपका-अख्तर खान

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04 जुलाई 2010

तुम देखते हो

सियाह घटाटोप
अंधेरों से,
जब तुम ,
देखते हो
तो
तुम्हारी यह
दो आँखें
बल्ब सी लगती हें
चेहरा तुम्हारा
डरावना
सा लगता हे
घटा टॉप अंधेरों
से जब
तुम
मुझे
देखती हो।
अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

4 टिप्‍पणियां:

  1. एक दिन में इतनी कविताएँ। लगता है कविता लिखने का विश्व रिकॉर्ड बनने वाला है।

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  2. samjh nahi aayi kavita. kya meessage hai isme

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  3. aamir khan ki raja hindustani dekhi hai lagta hai

    जवाब देंहटाएं
  4. above two statements are for tum dekhte ho

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