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24 जून 2010

मादक पदार्थों की रोकथाम की जाग्रति का सप्ताह

कोटा में मादक पदार्थों की रोकथाम की जाग्रति के लियें मनाया जा रहा जाग्रति सप्ताह केवल अधिकारियों की ओपचारिकता बन कर रह गया हे कोटा जो देश की स्मेक,चरस,अफीम की सबसे बड़ी मंडी हे यहाँ से रोज़ चोरी छिपे करोड़ों की स्मेक दुसरे राज्यों में तस्करों द्वारा पुलिस की आँखों में धुल झोंक कर भेजी जा रही हे कोटा सम्भाग में करीब ५००० से भी अधिक स्मेक और अन्य नशे के आदतन हें जिनमे से सेकड़ों लोग पुलिस के लियें सर दर्द बने हें वोह अपनी भूक मिटाने के लियें छीना झपटी चोरी लुट पाट करते हें हमारे देश में मादक पदार्थों की रोकथाम और इसके आदतन लोगों के इलाज के लियें कल्याणकारी नियम बनाये गये हें खुद अदालतों को ऐसे आदेश देने के अधिकार दिए गये हें कोटा पुलिस आज २०० से भी अधिक ऐसे स्मेक्चियों को जानती हे जो स्मेक के बगेर एक पल नहीं रह सकते पुलिस ने उन्हें किसी ना कसी कानून में पकड़ा तो हे लेकिन उदार बन कर अदालत से आदेश प्राप्त कर उनका इलाज कराने के लियें उन्हें नशा मुक्ति वार्ड में भर्ती नहीं कराया हें राज्य या फिर केंद्र ने प्रावधान होने पर भी इस मामले में कमेटियां नहीं बनाई हे कोटा में एक किलो स्मेक का भाव एक लाख रूपये का हे जिसमें तस्कर ५ किलो तक कुत्ते मारने का पौडर मिला कर इसे छोटी छोटी पुडिया बना कर ग्राहकों को बहते हें पुलिस छोटे ग्राहकों को तो पकड़ लेती हे लेकिन बड़े तस्करों के गिरेबान तक उसका हाथ नहीं पहुंच सका हे पिछले दिनों शेहर काजी अनवार अहमद ने कोटा के स्मेक्चियों के जेल से छुटने पर उन्हें सुधरने का अवसर दें के लियें उन्हें सब्जी बेचने या फल फ्रूट बेचने का ठेला लगाने के लियें आर्थिक मदद दी थी लेकिन यह निति सरकार की मदद के बगेर कामयाब नहीं हो सकी , स्मेक्ची बताते हें के नशे में वोह पागल हो जाते हें उनका पेट दर्द से फटने लगता हे और वोह जब तक नशा ना मिले अपना सर पटकते रहते हें ऐसे ही वक्त पर अपराध मास्टर इनकी कमजोरी का फायदा उठा कर इनसे बढ़े अपराध करवा लेते हें । केंद्र और राज्य सरकार इस मामले में बने कल्याणकारी नियमों को लागु करने के लियें निर्धारित समितियों का गठन कर यदि आर्थिक मदद दे और पुलिस कर्मी स्मेक्चियों को पकड़ कर अदालत से आदेश प्राप्त कर उन्हें नशामुक्ति केंद्र में भर्ती करवाएं तो कोटा के कई घर बर्बाद होने से बच सकते हें क्योंकि स्मेक के आदतन की आयु अधिकतम ५ से १० वर्ष ही होती हे। अब देखते हें केंद और राज्य सरकार को आप लोग मेरे सुझाव को उन तक पहुंचा कर कुछ कार गर कदम उठवा कर कोटा और राजस्थान के इस नारकीय जीवन के बोझ तले जी रहे लोगों को मुक्ति दिलाने में मेरी मदद करते हो या नहीं। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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