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07 जून 2010

रेगिस्तान में बाढ़ हे तो हरियाली में अकाल

दोस्तों यह कुदरत का ही निजाम हे के आज राजस्थान के रेगिस्तानी इलाकों में मुसलाधार बरसात के बाद बाढ़ की स्थित हे तो जहां हरियाली थी वहां अकाल की स्थिति बनी हुई हे बात साफ़ हे के कुदरत से लढ़ कर कोई जीत नही सका हे दोस्तों रेगिस्तानीलाका जेसलमेर बाड़मेर बीकानेर जहां रेट ही रेट हे वहां आज पानी ही पानी हो रहा हे क्योंकि वहां पक्की सदके नहीं हे ग्रामीण क्षेत्रों की स्थिति शहरीकरण के नाम पर बदली नहीं गयी हे वहां आज भी कच्ची जमीन कच्चे मकान मोजूद हें ठीक इसके विपरीत गेर रेगिस्तानी इलाकों में गाँव खत्म हो गये हें शहरीकरण के नाम पर सडकें,पक्के मकान,पक्की नालियां पक्की जमीन हो जाने से पढ़ तो सूख सूख कर गिर ही रहे हें साथ ही पक्की जमीन होने से वर्षा का पानी या रोज़ मर्रा वेस्टेज होने वाला पानी सडकों पक्की नालियों से बहकर सीधा नदी में जा जा रहा हे और नदी के रास्ते समुन्द्र में जा रहा हे अगर हमारी सडकों और पक्की जमीन की तकनीक कुछ ऐसी हो के वर्षा का पानी रोज़ वेस्ट निकलने वाला पानी नदी में जाने की जगह शहर की जमीन में ही पेवस्त हो जाए तो शहरों का जल स्तर खुद बा खुद बढ़ता जाएगा देश में शहरों में पानी की कमी की इस सच्चाई को सरकार और शोधकर्ता समझ नहीं रहे हें लेकिन यह सच हे के अगर शहर का पानी नालियों के जरिये या डाई वर्जन के जरिये सीधा नदी में जाकर दूर समुन्द्र में मिलने की जगह शहर में ही नई सडक और पक्के निर्माणों की तकनीक स्थापित कर शहर का पानी शहर की जमीन में ही पेवस्त किया जाए ओ शहर का जल स्तर घटने से बच जाएगा और जल स्तर अगर ऊँचा हो गया तो गर्मी भी कम और पानी भी खूब मिलेगा लेकिन यह बात सरकार और इंजीनियरों की समझ में आये तब ना। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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