आपका-अख्तर खान

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06 जून 2010

हिंदी बेचारी हिंदी कहां गयी हिंदी ?

दोस्तों हम हिन्दुस्तान में रहते हें हिंदी हमारी राष्ट्रभाषा हे लेकिन इसे राष्ट्रभाषा का संविधान का दर्जा मिलने के बाद भी अफ़सोस इस बात का हे के राजनितिक कारणों से इस राष्ट्रभाषा को राजभाषा नहीं बनाया गया हे हिंदी भाषी राज्यों को अगर हम छोड़ दें तो बाक़ी राज्यों में कहीं मराठी तो कहीं बंगाली तो कहीं कन्नड़ हे लेकिन नहीं हे तो बस हिंदी राष्ट्रभाषा नहीं हे । दोस्तों हमारे देश में सो कोल्ड देश भक्त हे सो कोल्ड देशभक्त सन्गठन हें और यह सभी राजनीति के नाम पर खुद को राष्ट्रभक्त बता कर वोट मांगते हें लेकिन जागो हिन्दू भाई, बजरंग दल भाई, आर एस एस भाई , हिन्दू परिषद भाई ,कोंग्रेस भाई,भाजपा भाई ,सपा,जद,को ख ,ग सभी तरह की पार्टियां हिन्दुमुस्लिम सन्गठन ,शिवसेना ,मनसे , तनसे,वगेरा वगेरा सभी दल पार्टियां अपनी खुद की भाषा राष्ट्रभाषा नहीं रखते नरेंद्र मोदी गुजराती की बात करते हें ठाकरे परिवार मराठी की बात करते हें वेंकय्या नायडू जयललिता , करुना निधि कन्नड़ तमिल की बात करते हें ममता , प्रणव बंगाली की बात करते हें तो दोस्तों बताओ ना हिंदी की बात कोण करता हे और हिंदी राष्ट्रभाषा की यह लोग अगर बात नही करते तो क्या इन्हें राष्ट्रभक्त कहलाने का अधिकार हे अगर नहीं तो दोस्तों इन सब के जमीर को झकझोर दो सोनिया जी से खड़ो अब तो स्क्रिप्ट छोड़ कर केवल हिंदी उच्चारण के साथ बोलो और सभी राज्यों को हिंदी राष्ट्र भाषा होने के कारण राजभाषा का फरमान भी जारी करो ताकि हिंदी को खुद को राष्ट्र भाषा साबित करवाने के लियें भाषा के नाम पर बवाल मचाने वालों के आगे हाथ नहीं गिडगिडाना पढ़े में समझता हूँ ब्लोगर्स मेरी भावना समझ गये होंगे भाई हिंदी हें हम हिदुस्तान हमारा फिर यह किया हम दुसरे राज्यों में अगर हिंदी बोलते हें तो हमे मारा जाता हे पीटा जाता हे रोज़गार नहीं दिया जाता अगर संविधान में लिखित हिंदी भाषा का आज़ादी के तिरेपन साल बाद भी यह हाल हे तो दोस्तों जो भी नेता राष्ट्रवादिता की बात करे और हिंदी के अलावा दूसरी भाषा में बोले तो बस उसे सबक सिखाने की ठान लो हिंदी को राष्ट्रभाषा का नाम दिलाने और इस भाषा को दूसरी भाषाओं की गुलामी से आज़ाद करने के लियें अगर एक जंग और लढना पढ़े तो फिर तयार हो जाओ हम किसी भी हद तक की जंग हिंद और हिंदी के लियें ल्धने के लियें तय्यार हें लेकिन भाषा,ज़ात,धर्म,क्षेत्रीयता के नाम पर नफरत और हिंसा फेलाने वालों को यह सब मंजूर नहीं होगा वोह तो बस मन्दिर मस्जिद, हिदू,मुसलमान,कोंग्रेस भाजपा के नाम पर लढ़ा कर अपनी राजनितिक रोटियाँ सेक रहे हें। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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