आपका-अख्तर खान

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19 जून 2010

आज क्यूँ खून के आंसू ना रोऊँ में यह तो बता दो यारों

मेरे ब्लोगर भाइयों ,बहनों,बुजुर्गों,मार्गदर्शकों, अस्स्लामोअलेकुम ,नमस्ते,सादर वन्दे,सत्सिरी अकाल , जय श्रीराम , राधे राधे यानी सभी को अभिवादन आज फादर्स दे यानी पितृ दिवस हे आज २० जून को सुबह सवेरे मेने सोचा के पितृ दिवस को नये तरीके से देखा जाए मेरे फादर को सलाम किया , ममी ,बीवी,बच्चे कोटा से बाहर गये हे इसलियें उन्हें मोर्निंग वाक् पर जाने के पहले छाए बना कर पिलाई बस फिर में भी कोटा में कानूनी और गेर कानूनी रूप से स्थापित व्र्द्धाव्स्था आश्रम यानी ओल्ड एज होम की यात्रा को निकल पढ़ा एक ओल्ड एज होम में गया पिता तुली जो बुज़ुर्ग थे उन्हें अभिवादन किया एक थर्मस में चाय और दूसरी बोतल में ठंडा था जनाब की पसंद जानी सुबह का वक्त था उन्होंने चाय मांगी मेने चाय दी आज पितृ दिवस का उन्हें बताया तो वोह मुझे फटी फटी शांत आँखों से देखते रहे अपने और परिवार के बारे में कुछ जवान नहीं दिया एक आदरणीय सहज भाव से गार्डन में कसरत कर रहे तरहे चेहरे पर रोब था मेने उनसे भी ठंडा गर्म पूंछा पहले थोड़ी ना नुकुर करी फिर खा बेटा ठंडा दे दो मेने उन्हें ठंडा दिया और उनके पास ही नीचे बेठ गया मेने उन्हें आज के दिन के बारे में बताया बस फिर किया था एक सख्त चेहरे के भाव रखने वाला रोबीला आदमी बर्फ की तरह पिघल गया अचानक उनके आंसू बहने लगे वोह कहने लगे बेटा यह दिन आप लोग मना कर हमारे जख्मों को हरा करते हो में कहा अंकल ऐसा ना कहो कुछ तो बोलो वोह बोए बेटा मेने मेरे इकलोते बेटे को पढ़ा लिखा कर इंजीनियर बनाया उसकी शादी की दो साल पहले मेरी पत्नी की तबियत खराब हुई इलाज में रुपयों की जरूरत पढ़ी मकान रहन रखने के लियें बच्चे को कागज़ दिए रूपये तो इलाज में खत्म हो गये और मेरी पत्नी भी शांत हो गयी दो माह बाद ही मेरे बेटे और बहु ने मकान पर हक जमाया और पता चला उसने अपने साले के नाम से मेरा मकान गिरवी रख लिया था विवाद हुआ बेटे बहु ने मेरे अपने घर से मुझे बाहर निकाल दिया अब में यहाँ ओल्ड एज होम में जीवन यापन कर रहा हूँ मेने उन्हें ढांढस बनाया और राजस्थान में पिता माता भरन पोषण कानून के बारे में उन्हें बताया उन्होंने मुझ से बेटे बहु के खिलाफ कार्यवाही के लियें कहा हे मेने उन्हें कल सोमवार को ही कार्यवाही का आश्वासन दिया और आगे चल दिया एक साहब शांत से कुर्सी पर बेठे अख़बार पढ़ रहे थे कोटा में उनकी बढ़ी कोठीनुमा मकान हे लेकिन वोह वहां कम और ओल्ड एज होम में ज़्यादा रहते हें मेने उनसे कारण पूंचा उन्हने कहा बेटा मेरा एक पुत्र अमेरिका में डोक्टर हे तो दुसरा अर्ब में इंजीनियर हे दोनों बीस बीस हजार रूपये मुझे भेजते हें मेरी पत्नी ज़िंदा थी जब तक में घर रहता था लेकिन एक दिन जब में बीमार हुआ बेटे बहु को फोन किया उन्होंने जब मुझ से कहा इ पापा आप फ़िक्र मत करो में और रूपये भेज दूंगा में दिल्ली कम्पनी के काम से आया हूँ लेकिन रुक नहीं सकता आपसे मिल नहीं सकता आप अच्छे से डोक्टर दिखा देना एक नुर्स एक नोकर रख लेना रुपयों की जरा भी प्रवाह मत करना यह कहकर अंकल की आँखों में आंसू झलक आये उनी आँखों से लगा के बेटा पैसा तो बहुत हे बच्चे बहु पोते भी हे लेकिन बस उनका प्यार सुकून नहीं हे ऐसे ही अनेक बुजुर्गों से मेरी मुलाक़ात हुई बस फिर में घर की तरफ रवाना हो गया सोचता रहा के यह मेरा भारत महान हे यहा अंग्रेजी संस्क्रती ने इसकी मान मर्यादाये भंग कर दी हें कहां राम, कहां श्रवण कुमार और कहां हम आज की पीडी जिसके राज मेंबुज़ुर्ग खून के आंसू रो रहे हें अब आप ही बताइए जनाब मेरा मन यह सब देख कर क्यूँ खराब ना हो क्यूँ मेरा मन खून के आंसू ना रोये, तो दोस्तों हमारे देश के बुज़ुर्गों का यह नंगा सच हे जिसे अनेक बुजुर्गों ने अपनी चुप्पी से ढाक रखा हे और अनेक समझोते कर अपने बेटों बहु और पोतों के साथ रह रहे हें मुझे इस अवसर पर अमिताभ बच्चन की फिम बाग़बान की याद आ गयी जिसमे इस दिवस की पोल खोल कर रख दी थी और यही इस देश के कुछ अपवादों को छोड़ कर इस देश का नंगा सच हे तो आओ हम मिलकर इसे खत्म करने के लियें युवाओं और बच्चों में फिर से बुजुर्गों की आत्म सम्मान की रक्षा के लियें अलख जगाएं इन बुझते हुए मुरझाये हुए फूलों में फिर से खुशबु ताजगी भरने का संकल्प लें , आज के दिन राष्ट्रपिता महात्मा गांधी को याद किये बगेर नहीं रहा जा सकता जिन्होंने लाठी लंगोटी के बल खुद को भूका रख कर तकलीफ दी और बिना हिंसा के देश को नई तस्वीर बना कर दी। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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