तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
18 जून 2010
उपभोक्ता सप्ताह खर्च करोड़ों नतीजा जीरो
राजस्थान में सरकार ने उपभोक्ताओं को अपने अधिकारों के प्रति जागरूक करने के लियें मनाये जा रहे उपभोक्ता सप्ताह में सरकारी विज्ञापनों पर करोड़ों रूपये खर्च कर दिए हें लेकिन इन विज्ञापनों में नेताओं के प्रचार के अलावा और कुछ अधिक नहीं हो सका हे हालात यह हे के तोल मोल नकली को नाम पर उपभोक्ताओं को लुटा जा रहा हे राजस्थान में उपभोक्ता कानूनों में उपभोक्ताओं को न्याय दिलाने के लियें उपभोक्ता की तरफ से रसद विभाग के निरीक्षकों को परिवाद दिला कर न्याय दिलाने के लियें पाबन्द किया हे लेकिन सदी गली वस्तुएं , घटिया जानलेवा खाध्य पदार्थ , नकली दवाएं घटिया चिकित्सा सुविधाओं सहित अनेक नकली चीजों की बिक्री के अलावा मोबाइल कम्पनियों की लुट वगेरा से जनता परेशान हे लेकिन ताज्जुब इस बात का हे के राजस्थान के किसी भी शेहर में आज तक भी किसी भी अधिकारी ने जनता को उपभोक्ता मामलों में न्याय दिलाने के लियें कोई परिवाद दायर कर कार्यवाही नहीं की हे अब बताओ भाई क्या यही उपभोक्ता जागरूक सप्ताहे हे जिसमें जनता को न्याय नहीं अखबारों में करोड़ों खर्च कर नेताओं के फोरो छापे गये हें। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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यदि पब्लिक अपने नौकरों अर्थात् पब्लिक सर्वेण्ट्स को नियन्त्रित नहीं रख सकती तो कहीं न कहीं पब्लिक भी इसके लिये जिम्मेदार है।
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बात तो आपकी सही है, लेकिन जितने भी सप्ताह या दिवस मनाये जाते हैं ये सबके सब अपने चहेतों को विज्ञापन जारी करने। विज्ञापन जारी करने में कमीशन खाने और औपचारिकता पूर्ण करने के लिये ही होते हैं। इस कार्य के लिये वाकायदा बजट भी स्वीकृत होता है, जिसे येन-केन प्रकारेण खर्च करना भी जरूरी होता है। नहीं तो ऊपर से सवाल-जवाब किये जाते हैं।
रही बात उपभोक्ता अधिकारों की तो भैया यदि उपभोक्ता जागरूक है तथा अदालतों के चक्कर लगाने में सक्षम है तो वह अवश्य यह दिखा सकता है कि उपभोक्ता के हकों को छीनने वालों को जुर्माना भी हो सकता है। अन्यथा शोषित होते रहो। अफसर जानते हैं कि आम जनता तो अज्ञान की गहरी नींद में है, राजनेताओं से उन्होंने तालमेल बिठा ही रखा है, फिर उनका कोई क्या कर सकता है।
यदा कदा कोई हम-तुम जैसा पीछे पड ही जाये तो सबसे पहले तो उसकी अक्ल ठीक करने के सारे हथकण्डे अपनाये जाते हैं। यदि वह दबता नहीं है, तो उसे भी अपनी जमात में दलाल के रूप में शामिल कर लिया जाता है। इसके बाद भी अपवाद स्वरूप कुछ शेष रह जाते हैं, जिनसे सतर्क रहने का प्रयास किया जाता है। फिर भी बेचारे यदकदा एसीबी के चक्कर में फंस ही जाते हैं।
प्रशासन एवं जनप्रतिनिधियों में जिस प्रकार की साठगांठ है, उसको देखते हुए प्रशासन को उनके कर्त्तव्य याद दिलाने मात्र से कुछ भी हासिल नहीं होगा, बल्कि जनता (पब्लिक) को अपने आप में अतनी ताकत हासिल करनी होगी कि इन भ्रष्ट पब्लिक सेर्वेण्ट्स से पूछा जा सके कि वे अपने कर्त्तव्यों के प्रति लापरवाह क्यों हैं और लापरवाही के लिये सजा दिलाने के लिये संघर्ष का मार्ग अख्तियार करना होगा। यदि पब्लिक अपने नौकरों अर्थात् पब्लिक सर्वेण्ट्स को नियन्त्रित नहीं रख सकती तो कहीं न कहीं पब्लिक भी इसके लिये जिम्मेदार है। आपने अच्छा मुद्दा उठाया है। धन्यवाद।
शुभकामनाओं सहित आपका
-डॉ. पुरुषोत्तम मीणा निरंकुश
सम्पादक-प्रेसपालिका (जयपुर से प्रकाशित पाक्षिक समाचार-पत्र) एवं राष्ट्रीय अध्यक्ष-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास) (जो दिल्ली से देश के सत्रह राज्यों में संचालित है।
इस संगठन ने आज तक किसी गैर-सदस्य, सरकार या अन्य किसी से एक पैसा भी अनुदान ग्रहण नहीं किया है। इसमें वर्तमान में 4356 आजीवन रजिस्टर्ड कार्यकर्ता सेवारत हैं।)। फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in
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http://presspalika.blogspot.com/
तलाश जिन्दा लोगों की ! मर्जी आपकी, आग्रह हमारा!!
जवाब देंहटाएंकाले अंग्रेजों के विरुद्ध जारी संघर्ष को आगे बढाने के लिये, यह टिप्पणी प्रदर्शित होती रहे, आपका इतना सहयोग मिल सके तो भी कम नहीं होगा।
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सागर की तलाश में हम सिर्फ बूंद मात्र हैं, लेकिन सागर बूंद को नकार नहीं सकता। बूंद के बिना सागर को कोई फर्क नहीं पडता हो, लेकिन बूंद का सागर के बिना कोई अस्तित्व नहीं है। सागर में मिलन की दुरूह राह में आप सहित प्रत्येक संवेदनशील व्यक्ति का सहयोग जरूरी है। यदि यह टिप्पणी प्रदर्शित होगी तो विचार की यात्रा में आप भी सारथी बन जायेंगे।
ऐसे जिन्दा लोगों की तलाश हैं, जिनके दिल में भगत सिंह जैसा जज्बा तो हो। गौरे अंग्रेजों के खिलाफ भगत सिंह, सुभाष चन्द्र बोस, असफाकउल्लाह खाँ, चन्द्र शेखर आजाद जैसे असंख्य आजादी के दीवानों की भांति अलख जगाने वाले समर्पित और जिन्दादिल लोगों की आज के काले अंग्रेजों के आतंक के खिलाफ बुद्धिमतापूर्ण तरीके से लडने हेतु तलाश है।
इस देश में कानून का संरक्षण प्राप्त गुण्डों का राज कायम हो चुका है। सरकार द्वारा देश का विकास एवं उत्थान करने व जवाबदेह प्रशासनिक ढांचा खडा करने के लिये, हमसे हजारों तरीकों से टेक्स वूसला जाता है, लेकिन राजनेताओं के साथ-साथ अफसरशाही ने इस देश को खोखला और लोकतन्त्र को पंगु बना दिया गया है।
अफसर, जिन्हें संविधान में लोक सेवक (जनता के नौकर) कहा गया है, हकीकत में जनता के स्वामी बन बैठे हैं। सरकारी धन को डकारना और जनता पर अत्याचार करना इन्होंने कानूनी अधिकार समझ लिया है। कुछ स्वार्थी लोग इनका साथ देकर देश की अस्सी प्रतिशत जनता का कदम-कदम पर शोषण एवं तिरस्कार कर रहे हैं।
आज देश में भूख, चोरी, डकैती, मिलावट, जासूसी, नक्सलवाद, कालाबाजारी, मंहगाई आदि जो कुछ भी गैर-कानूनी ताण्डव हो रहा है, उसका सबसे बडा कारण है, भ्रष्ट एवं बेलगाम अफसरशाही द्वारा सत्ता का मनमाना दुरुपयोग करके भी कानून के शिकंजे बच निकलना।
शहीद-ए-आजम भगत सिंह के आदर्शों को सामने रखकर 1993 में स्थापित-भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)-के 17 राज्यों में सेवारत 4300 से अधिक रजिस्टर्ड आजीवन सदस्यों की ओर से दूसरा सवाल-
सरकारी कुर्सी पर बैठकर, भेदभाव, मनमानी, भ्रष्टाचार, अत्याचार, शोषण और गैर-कानूनी काम करने वाले लोक सेवकों को भारतीय दण्ड विधानों के तहत कठोर सजा नहीं मिलने के कारण आम व्यक्ति की प्रगति में रुकावट एवं देश की एकता, शान्ति, सम्प्रभुता और धर्म-निरपेक्षता को लगातार खतरा पैदा हो रहा है! अब हम स्वयं से पूछें कि-हम हमारे इन नौकरों (लोक सेवकों) को यों हीं कब तक सहते रहेंगे?
जो भी व्यक्ति इस जनान्दोलन से जुडना चाहें, उसका स्वागत है और निःशुल्क सदस्यता फार्म प्राप्ति हेतु लिखें :-
(सीधे नहीं जुड़ सकने वाले मित्रजन भ्रष्टाचार एवं अत्याचार से बचाव तथा निवारण हेतु उपयोगी कानूनी जानकारी/सुझाव भेज कर सहयोग कर सकते हैं)
डॉ. पुरुषोत्तम मीणा
राष्ट्रीय अध्यक्ष
भ्रष्टाचार एवं अत्याचार अन्वेषण संस्थान (बास)
राष्ट्रीय अध्यक्ष का कार्यालय
7, तँवर कॉलोनी, खातीपुरा रोड, जयपुर-302006 (राजस्थान)
फोन : 0141-2222225 (सायं : 7 से 8) मो. 098285-02666
E-mail : dr.purushottammeena@yahoo.in