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02 जून 2010

अजगर करे ना चाकरी जनता करे ना काम

दोस्तों पुरानी कहावत अजगर करे ना चाकरी अब नये रूप में अजगर करे ना चाकरी जनता करे ना काम के रूप में बदक गयी हे हमारे देश एन लोग हें के कुछ तो काम कर रहे हें तो काम ही कर रहे हें और कुछ हें के आराम कर रहे हें तो आराम ही कर रहे हें इस पर मुझे एक हास्य याद आता हे दो सुस्त लोग गार्डन में एक जामुन के पेड़ के नीचे लेटे थे के पास से में गुजरा एक सुस्त साहब ने मुझे रोका और कहा के भाई साहब यह जामुन जो पेड़ से गिरी हे मेरे मुंह में डाल दो मेने इस पर नाराज़ होते हुए उसे उपदेश देना शुरू किया के भाई इतनी सुस्ती भी किस काम की जामुन तुम्हारे पास पढ़ी हे उसे भी तुम उठा कर नहीं कहा सकते इस पर पडोस में पड़े सुस्त ने कहा के भाई साहब यह इतना बढा नालायक हे के कुत्ता मेरे मुंह पर पेशाब कर रहा था तो मेने इससे भगाने के लियें कहा लेकिन कुत्ते को इसने नहीं भगाया , में चकरा गया सोचा इन सुस्तों के मुंह क्या लगुन इसलियें मेने सुस्त के पास पढ़ी जामुन उठाई और सुस्त के मुंह में डाल कर जाने लगा सुस्त ने मुझे जाते हुए को रोका और जामुन चबाकर जब गुदा कहा लिया तो चिल्ला कर कहा के जामुन मुंह में डालकर कहां जाता हे मुंह में से गुठली क्या तेरा बाप निकालेगा। दोस्तों कहने को यह एक हास्य हे लेकिन आज हमारे देश में ऐसे परजीवी सुस्त लोगों की भरमार हे इसलियें हमारा देश पिछड़ रहा हे ऐसे हमारी ज़िम्मेदारी हे के हम ऐसे लोगों की पहचान करें उनके जमीर को जाग्रत करें उन्हें सोतो हों को जगाएं और इस देश की तरक्की में उन्हें भी शामिल कर इस देश को आगे बढाएं। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

1 टिप्पणी:

  1. आज हमारे देश में ऐसे परजीवी सुस्त लोगों की भरमार हे....bilkul sahi.

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