आपका-अख्तर खान

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01 जून 2010

ब्लोग्स की गिनती थ्री नोट थ्री

ब्लोगर भाइयों बहनों बुजुर्गों दोस्तों और दुश्मनों में ब्लॉग की दुनिया में ७० दिन पहले आया और मेने हिंदी की टैप नही आने पर भी हिंदी में ब्लॉग लिखने का फेसला किया मेने मेरे बच्चे से ब्लॉग बनवाया इस ओपरेट करना सिखने की कोशिश की यकीन मानिए मुझे अभी भी ब्लॉग खोलने और कन्वर्टर पर टैप करने के लावा कुछ नहीं आता हे लेकिन आप लोगों के आशीर्वाद और प्यार से मेरा होसला बधा मामूली से नोसिखिये ब्लोगर के रूप में मी खुद को स्थापित किया और मजे की बात यह हे के नोसिखिये ब्लोगर्स की साख अभी भी मेने बना रखी हे उसमें कोई परिवर्तन में नहीं लाया हूँ भाइयों और बहनों मेने इन ७० दिनों में ३०० से अधिक यानी ३०३ ब्लॉग लिख डाले शभी ब्लॉग एक से एक बोरिंग कंदम थे इसी लियें में गिस्द्दी का फिसड्डी रहा लेकिन ब्लोगिंग दुनिया में मुझे जो सिखने को मिला वोह में आप लोगों से शेयर करना चाहता हूँ आप लोगों को मेरे विचार अच्छे लगें तो मेरी पीठ मत थपथपाना लेकिन अगर बुरी लगे तो लताड़ जरुर पिलाना प्लीज़ इसमें कंजूसी ना करना, मेने ब्लॉग की दुनिया में छोटे बढ़े स्त्री पुरुष देशी विदेशी सभी के ब्लॉग देखे सच तो यह हे अखबारी संपादन काल में जो साहित्य में धुन्धता था उससे भी बेहतरीन साहित्य मुझे ब्लोगर्स के साथ मिला बहन काव्य मंजूषा की मधुर कोकिला आवाज़ खुबसुरत अलफ़ाज़ शीरीं की तरह लगे तो बहन फिरदोस के लफ्ज़ मेरी दुनिया से अजीब लेकिन सच लगे खुश दीप जी , ललित डोट कोम का मिल्न देखते बनता हे तो जलजला भाई ने तो आकर धूम मचा दी जागो हिन्दू अपनी धुन में मस्त रहे तो सलीम भाई का स्वदेश में ब्लॉग लेखन का अंदाज़ दी को छूने वाला रहा दिनेश राय जी द्विवेदी का तो कहना ही किया अदालत ब्लॉग पर ही खोल कर रख दी जबकि भडास भाई ने तो दिल के सभी चाले साफ़ साफ़ अंदाज़ में फोड़ कर रख दिए लेकिन कुछ गंदगी कुछ शोर कुछ इर्शिया से में आहत हुआ ब्लॉग पर पहली बार मेने वर्ड वार वर्ड यानी दुनिया वार यानी युद्ध वर्ड यानी शब्द वार यानी युद्ध यानी शब्द युद्ध मेने पहली बार ब्लॉग पर देखा दोस्तों मेने २५ वर्षों तक दादागिरी वाली पत्रकारिता की हे जबकि पुराने इलाके में रहने के कारण रोजमर्रा चाकू मारने थोड़ी सी बात पर मां बहन एक करने और हत्या तक करने वालों के बीच में रहने और फिर २० साल की आपराधिक लोगो की वकालत के अनुभव में मुझे इतने घटिया अलफ़ाज़,गंदे विचार ,लफ्फाजी देखने को नही मिली जो मेने ब्लॉग की दुनिया में देखी हे कहते हें एक मछली सारे तालाब को गंदा करती हे लेकिन तालाब में तो बहुत गंदी मछलियाँ हे दोस्तों लेकिन कुछ खुशनुमा लोग हें जो इतनी गंदगी के बाद भी इस ब्लोगर्स की दुनिया को महका रहे हें ब्लोगर्स जूनियर सीनियर महिला पुरुष हिन्दू मुसलमान बाप बेटे में बंट कर रह गये लेकिन ब्लोगर बनने की कोशिश किसी नें नहीं की , दोस्तों एक शरीर की तरह ब्लोगर्स में कुछ ब्लॉग शीर्ष पर रहने से माथा बन गये हें तो कुछ खुबसुरत जुल्फों की तरह संवर रहे हें कुछ हें के हाथो की तरह ताकत दे रहे हें तो कुछ पेरों की तरह भागने को मजबूर कर रहे हें कुछ ब्लॉग तो दिल की धडकन हें तो कुछ ब्लॉग फेफड़ों में साँसें भर रहे हें कुछ ब्लॉग नाक में सुगंध देते हें तो कुछ कानों मीठी आवाज़ सुनाते हें हाँ कुछ ब्लॉग हें जो पेट में मरोड़ भी करते हें लेकिन दोस्तों वोह मरोड़ यादो गंदी हवा बन कर बाहर निकल जाती हे या फिर सुभ लेट्रिन बन कर बह जाती हे तो दोस्तों गंदगी ज्यादा देर नहीं रहती या तो उढ़ जाती या फिर बह जाती हे तो फिर ऐसी गंदगी के लियें क्यूँ हम अपना मुद खराब करे तो मेरे अच्छे अच्छे प्यारे प्यारे ब्लोगर भाइयों बहनों दोस्तों बुजुर्गों प्लीज़ आपस में गले मिलो खुशियाँ बांटो। अपनापन बांटो अच्छा लिखो अच्छा पढो और सब मिलकर बुराई और बुरा लिखने वाले का प्रतिकार करो तो आओ फिर से हम ब्लोगर्स की दुनिया के हेवानों को भगा कर ब्लोगर्स की दुनिया हेवन यानी जन्नत बनाएं जहां बीएस अच्छी सिख और प्यार ही प्यार हो क्यूँ बहुत हो गयी ना मेरी बकवास अच्छा अब में चलता हूँ फिर ज़िंदा रहने तक बोर करता रहूंगा। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

2 टिप्‍पणियां:

  1. क्रोध पर नियंत्रण स्वभाविक व्यवहार से ही संभव है जो साधना से कम नहीं है।

    आइये क्रोध को शांत करने का उपाय अपनायें !

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दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)

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