आपका-अख्तर खान

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07 मई 2010

मदर्स डे पर मान तुझे सलाम

मदर्स दे यानी मात्र दिवस कहने को तो बूढी या जवान मां को बहलाने के लियें अच्छा शब्द ह लेकिन आज कुछ एक अपवादों को अगर हम छोड़ दें तो अधिकतम लोग मां को दुःख पहुंचा कर अपनी पत्नियों के साथ सुखी रहना चाहते हें हालात यह हें के वोह लोग मां के पैर के निचे जन्नत होने के स्थान पर अब बीवी के पैर के निचे जन्नत होना मानने लगे हें और बूढी मां को बीमार हाल में रोता बिलखता भूका प्यासा छोड़ कर चले गये हे उन्हें यह पता नहीं हे के खुदा ने उन्हें जो अनमोल तोहफा मां के रूप में दिया हे इसके लियें आज भी हजारों हजार लोग तडप रहे हें तो दोस्तों अगर जन्नत में जगह बुक कराना हे तो संकल्प लें की मां की जायज़ नाजायज़ सभी बातों को मां कर उसे सुखी रखंगे और जन्नत में बुकिंग कराएंग। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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