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08 मई 2010

जाती गत आधार पर जनता की गिनती

देश में आज़ादी के बाद पहली बारसेन्सस एक्ट का उलंघन कर जाती के आधार पर जनता की गिनती की जाने वाली हे कोंग्रेस की इस मामले में पहले नाना और फिर हाँ हाँ ताज्जुब की बात हे वेसे देश में किस जाती के कितने लोग हें और उनके उत्थान विकास के लियें सरकार किया कुछ कर रही हे यह जनता के सामने आना चाहिए वेसे भी आधुनिक युग में देश में जब सुचना का अधिकार अधिनियम लागू हे तब जनता की गिनती में यह भी जरूरी हे के देश में किस जाती समाज के कितने लोग हें इससे देश की सुरक्षा को कोई खतरा नहीं हे क्योंकि राजनितिक पार्टियां तो वोटर लिस्ट के आधार पर अपनी जातिगत मत दाताओं की गिनती करवा लते हें और उसी आधार पर प्रत्याक्षी का चयन और हार जित की रणनीति बनती हे जब यह सब लोकसभा विधानसभा में बेठे लोगों द्वारा कुले आम किया जाता रहा हे तो इस जनता की गिनती में जातिगत आधार की गिनती कोई ग़लत बात नहीं हे लेकिन यह सच हे की इस गिनती से सरकार के पुराने अंदाज़े के आधार पर बनाये गये सरकारी फर्जी आंकड़े अवश्य झुनते साबित हो जायेंगे । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान

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