तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
03 अप्रैल 2010
जजों की आचार संहिता तो पहले से ही बनी हुई हे लेकिन उस पर निगरानी नहीं हे क्यों के जज को माई बाप माय लोर्ड और भगवान समझने की भूल की जाने लगी हे सब जानते हें के जज भी इंसान होते हें और इंसान से ग़लती होती ही हे आखिर एक जज जिसे सज़ा देता हे दूसरा जज उसे बरी क्योँ कर देता हे एक जज जब जमानत हारिज करता हे तो दूसरा जज उसे जमानत क्यों दे देता हे फिर ग़लत फेसला देने वाले जज पर ज़िम्मेदारी क्यों नही न्यायिक बुध्धि का सही इस्तेमाल क्यों नहीं इसकी उन्हें सज़ा क्यों नहीं खेर कोई बात नहीं लेकिन अब न्यायिक सुधर की जरूरत हे अगर छोटी बढ़ी सभी अदालतों में सुबह दस बजे से अदालत बंद होने तक रिकोर्डिंग कमरे लगाए जाएँ और उसका कंट्रोल प्रशासनिक जज के पास हो दिन भर की कार्यवाही की रेकोर्डिंग हो वकील या पक्षकार अगर इसी कार्यवाही की सीडी लेना छाए तो उसे देने का प्रावधान हो तो सभी जज ,बाबू, रीडर, वकील खुद को सुधार लेंगे और आवश्यकता पढने पर सीडी दुबारा देख कर दोषी को सज़ा दी जा सकेगी इससे वकील,जज ,रीडर की मनमानी पर रोक लगेगी और अदालत का डेकोरम कायम होगा । इसी तरह से हर जिले एक मानवाधिकार न्यायालय और एक सी आर पी सी ४३७ में जमानत और रिमांड सुनवाई की अलग से अदालत हो और एक ४३९ सी आर पी सी में जमानत सुनने के लिए अलग से जज हो ताकि निचली अद्द्ल्तों द्वारा तकनीकी कारणों से खारिज जमानत मामलों की सुनवाई उसी दिन ४३९ में की जाकर पक्षकार को न्याय दिया जा सके इससे अदालतों में काम का बोझ भी कम होगा जनता को न्याय मिलेगा और जेलों में भी अनावश्यक बोझ कम होगा। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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