तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
03 अप्रैल 2010
मोट ही जिंदगी हे
जीने वालों ,ज़रा इस सच को भी समझो, जिंदगी तुम्हारी कुछ भी नहीं , मोत ही तुम्हारी जिंदगी हे , यूँ हंसना यूँ बोलना यूँ इठलाना कोई ख़ुशी की बात नही यह तो कुछ दिनन में आणि जानी हे लेकिन एक सुच हे के मोत हर इंसान को आना हे और वहीं से आखेरत यानी नयी जिंदगी की शरुआत हे यानी आपकी अच्छाई नेकी जो भी होगी उसका पुरस्कार उस वक्त मिलेगा नहीं तो बीएस तिरस्कार ही तिरस्कार हे अब बताओ जो जीना हे उसको हम केसे आखेरत की जिंदगी को सुधारेंगे। भुत कठिन डगर हे लेकिन चलना तो पढ़ेगा ही । अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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