तुम अपने किरदार को इतना बुलंद करो कि दूसरे मज़हब के लोग देख कर कहें कि अगर उम्मत ऐसी होती है,तो नबी कैसे होंगे? गगन बेच देंगे,पवन बेच देंगे,चमन बेच देंगे,सुमन बेच देंगे.कलम के सच्चे सिपाही अगर सो गए तो वतन के मसीहा वतन बेच देंगे.
05 अप्रैल 2010
स्कूलों में बच्चों और माँ बाप का आर्थिक शोषण
जी हाँ स्कूलों में बच्चों और उनके माता पिता के लुटने और अपमानित होने का वक्त आ गया हे । पहले स्कूलों में एडमिशन के नाम पर बच्चों के लियें लाइन में लगो फिर मनचाही फ़ीस दो और कमिशन की किताबें लाओ, फिर कमिशन की युनिफोर्म लाओ स्लूल के मालिक या प्रिंसिपल से डाट खाओ और फिर सरकारी निरंकुश सिस्टम को कोसते हुए घर आ जाओ। यह सब इस देश में जब हो रहा हे जब यहा शिक्षा सरकार की संवेधानिक गारंटी हे, यहाँ निजी स्कूलों के दबाव में आ कर हाल ही में बनाया कानून लागू करने के बाद भी पूरी तरह से लागू नहीं किया गया हे यहा सुप्रीम कोर्ट ने बसते का बोझ कम करने फीसें नियंत्रित करने बच्चों के एडमिशन के वक्त साक्षात्कार नहीं लेने का हुक्म दिया हे सरकार ने पच्चीस प्रतिशत बच्चों को मुफ्त पढाने का कानून बनाया हे फिर भी सभी निजी स्कूल कानून सरकार सुप्रीमकोर्ट पर भारी हें अब बताओ इसी कमजोर सरकार का क्या करे कोई। अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान
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इस हालात को जल्द सुधारना चाहिए, एक तरफ हम पुरे देश को शिक्षित करने की मुहीम की बातें करते हैं और एक तरफ ऐसी ऐसी घटनाएँ होते रहती हैं....सरकर को इस मामले में जल्द कुछ करने की जरूरत है
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