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04 अप्रैल 2010

गिरीश पंकज: कहने को आज़ाद हो गए किन्तु..

गिरीश पंकज: कहने को आज़ाद हो गए किन्तु..girish ji aadaab mntri ji ko pehli baar to us smahroh men gown pehnane ki kya tuk thi or jo mntri khud kisi naari ke hukm ka gulaam ho uska kya kher fir bhih aap ki baat gulaami ki snkirn vichardhaara kaa he hmaara desh men sehmt hun

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