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17 दिसंबर 2025

इतिहास बना: बारां मेडिकल कॉलेज को मिला पहला 'देहदान',

 इतिहास बना: बारां मेडिकल कॉलेज को मिला पहला 'देहदान',

मृत्यु के बाद भी 'मौन अध्यापक' बनकर मेडिकल छात्रों को पढ़ाएंगे 'बाउजी'

प्रेरणा: 300 घरों की बस्ती से मेडिकल कॉलेज तक की गौरवमयी यात्रा, शिक्षक छोटू लाल बाथरा का पार्थिव शरीर राष्ट्र को समर्पित

देह त्यागने के बाद भी जारी है गुरु की शिक्षा: मेडिकल कॉलेज में हुआ पहला देहदान, नम आंखों और गर्व के साथ दी गई विदाई

विस्तृत समाचार रिपोर्ट:
(बारां/बूंदी)
एक शिक्षक का जीवन समाज को दिशा देने में बीतता है, लेकिन मृत्यु के बाद अपनी देह को समाज के हित में सौंप देना एक ऐसा 'महादान' है जो बिरले ही कर पाते हैं। बूंदी जिले के एक छोटे से गांव अड़ीला के निवासी और शिक्षाविद स्वर्गीय श्री छोटू लाल बाथरा ने अपनी मृत्यु को भी 'जीवनदान' में बदल दिया। उनके पार्थिव शरीर के दान से बारां मेडिकल कॉलेज के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ गया है। कॉलेज को अपनी स्थापना के बाद पहली बार एनाटॉमी (शरीर रचना विज्ञान) की पढ़ाई के लिए 'कैडेवर' (पार्थिव देह) प्राप्त हुआ है।

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