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12 जून 2025

अज़हर हाशमी को खिराजे अक़ीदत, उनकी लेखनी को सेल्यूट, सलाम,

अज़हर हाशमी को खिराजे अक़ीदत, उनकी लेखनी को सेल्यूट, सलाम,
गांधी के सपनों का जहान चाहिए , मुझको राम वाला हिंदुस्तान चाहिए,, - प्रोफेसर अज़हर हाशमी.देश के वर्तमान हालातों को सुधारने , भाईचारा , सद्भावना का माहौल बनाने के प्रयासों में अपनी लेखनी के ज़रिए जुटे रहे , ,मीडिया की तल्खियां , मनमानियां ,, देश भर के बुद्धिजियों की ख़ामोशी , अच्छे लोगों का दुबकजाना , कमोबेश यही सब वजह रही , के देश के वर्तमान हालात विश्व के सामने है , ,समूह बनाकर किसी को भी घेर कर पुलिस कर्मियों के सामने ही मार डालना , किसी के भी घर को , बिना किसी विधिक प्रक्रिया के मटियामेट कर देना , मस्जिदों में मंदिरों में , अलग अलग धर्म के समूहों द्वारा पहुंचकर अराजकता का माहौल बनाना , देश के युवा ,बेरोज़गार जिन्हे नौकरी के अवसर मिलना चाहियें ,जिन्हे नौकरी की तलाश करना चाहिए , वोह सभी लोग एक गुमराह समूह बनकर नेताओं की जय जय कार , उनके इशारों पर मर मिटने को तय्यार ,, मज़हबी उन्मादी समूह के वोह सभी लोग हिस्सेदार बनते जा रहे हैं , उनकी मानसिक स्थिति में ,रोज़ी , रोटी , रोज़गार , देश के विकास , महंगाई , भ्रष्टाचार , व्यवस्थाएं , क़ानून की पालना की कोई अहमियत नहीं है , तो फिर ,,प्रोफेसर अज़हर हाशमी के गांधी के सपनों का जहाँन चाहिए , मुझको राम वाला हिंदुस्तान चाहिए , विचार का क्या हुआ , कुछ नहीं हुआ, कोई खास समर्थन उन्हें नहीं मिला, ओर वोह इस हसरत को दिल में ही लेकर चले गए, , प्रोफेसर हाशमी , पांच दशक से भी ज़्यादा क़लम के ज़रिये मोहब्बत की क्रान्ति जगाने की कोशिशों में जुटे रहे , लेकिन हुआ किया , वोह अज़ीम हस्ती , अभावों में , बिमारियों से ग्रस्त रहे , बीमारियों से पीड़ित होने पर भी ,, दवा , गोली खाकर , वोह क़लम , कागज़ लेकर, राम वाले हिंदुस्तान , गांधी के सपनों के जहान को लेकर , लिखते रहे , पुस्तकों का प्रकाशन करते रहे , अख़बारों में लेख लिखते रहे , त्योहारों के संगम पर गंगा जमनी तहज़ीब की अलख जगाते रहे , मोटिवेशनल स्पीच देते रहे , लेकिन अचानक वोह चल बसे , उनकी नेकियाँ , उनका साहित्य एक धरोहर बन गया , उनके हर अलफ़ाज़ में अमन , सुकून है , मिलजुल कर रहने , मोहब्बत के साथ एक जुट रहने का पैगाम है , फौजियों के लिए उनकी लेखनी में दुश्मन के दांत खट्टे कर देने वाली सीख की दहाड़ है , तो शहीद फौजियों , सरहदों की हिफाज़त में लगे फौजियों के लिए उनका मर्म है , आंसू हैं , उन्हें हिम्मत दिलाने के लिए , उनके मान सम्मान को बढ़ाने के लिए , उनके साहित्य के तरकश में , अल्फ़ाज़ों के तीर ही तीर हैं , किसानों, मज़दूरों, भूख से बिलखते बेरोज़गारों के लिये उनकी लेखनी में संवेदनाये हैं, उनकी मुझ को राम वाला हिंदुस्तान चाहिए वाली चाहत , दिल की दिल में रह गई और वोह अचानक हमें छोड़कर चले गए ,, देश भर के साहित्यकार ,बुद्धिजीवी उन्हें श्रद्धांजलि दे रहे हैं , लेकिन ऐसी शख्सियत जो गांधी के सपनों का जहांन , राम वाला हिंदुस्तान चाहता था , इसके लिए वोह क़लमकार की हैसियत से मोटिवेशनल स्पीकर होने की वजह से जो भी कर सकते थे , कर रहे थे , ऐसे में , वर्तमान माहौल को बदल कर फिर से गाँधी वाला जहांन और राम वाला हिंदुस्तान बनाने के लिए , ,कुंठाओं , भ्रष्ट आचरण , नफरत भरी सोच ,, सियासी मुलाज़िमत से आज़ाद होकर , सभी कलमकारों , साहित्यकारों ,, बुद्धिजीवियों , मोटिवेशनल स्पीकर्स को , क़लम सिर्फ राम वाला हिंदुस्तान बनाने के लिए उठाना चाहिए , रावण वाला अगर ज़रा भी आचरण दिखे तो उसे अपनी क़लम के ज़रिये उजागर करना चाहिए , शायद कुछ लोग कलमकारों का ओरिजनल धर्म निभाने के लिए आगे भी आएंगे , ऐसी सोच मेरी है , ,खेर ,,गीता का ज्ञान है , क़ुरआन का संदेश है , जो पैदा हुआ है , उसे एक दिन जाना है , इसीलिए कहते भी हैं ,के करनी कुछ ऐसी कर चलो के जग सारा रॉरोय और ऐसा ही हासमी सर ने किया था , रिश्ते में वोह मेरे मामू भी लगते थे , हमारा जागीर ठिकाना कड़ोदिया और पिड़ावा नज़दीक ही है , मेरी शादी समारोह में भी वोह मौजूद थे , और साफेबंदी में पेश पेश रहे थे , ,हाल ही में उन्होंने मुझ से अलग अलग दिनों में , लगातार घंटों घंटों बात की , वोह बीमार थे , चलने ,फिरने में असमर्थ थे , लेकिन उनमे हिम्मत थी , आखरी वक़्त , आखरी लम्हे तक भी उनकी क़लम मोहब्बत के फूल खिला रही थी , वोह क़ौमी एकता की खुशबु फैला रही थे , डॉक्टर अज़हर हाशमी साहब ने , मुझे कभी काजू घना , कभी मुट्ठी चना गीत संग्रह और मुक्तक शतक ,, दो पुस्तकें कुछ आलेखों के साथ ,,बज़रिये कोरियर भेजने के लिए कहा था , और उन्होंने वायदा भी निभाया , मेरे पते पर , एक हफ्ते पहले ही , उनकी दोनों पुस्तकें , कुछ आर्टिकल , और साहित्यिक सामग्री एक बंद लिफ़ाफ़े में मिलीं , में गदगद था , में कुछ लिखने की कोशिशों में था , समय का अभाव था , त्यौहार , फिर पारिवारिक ज़िम्मेदारिया , कुछ तात्कालिक लेखन , वकालत की व्यस्तता , में सोचकर भी चाहकर भी , लिख नहीं सका और अचानक इस अज़ीम हस्ती के यूँ छोड़ कर चले जाने की खबर छोटे भाई मज़हर हाशमी के सोशल मिडिया एकाउंट पर देखने को मिली , स्तब्ध हो गए , निशब्द हो गए , लेकिन ना उम्मीद नहीं , अज़हर हाश्मी का साहित्य , उनकी लेखनी , उनके लेख , आलेख , मोटिवेशनल स्पीचेज़ आज भी प्रासंगिक है , और यादगार बनी हुई हैं , बस इन विचारों को स्वीकार , अंगीकार करने की ज़रूरत है , साहित्यकारों को राष्ट्रहित में , इन्हे आगे बढ़ाने की ज़रूरत है , जो गांधी हैं , उन्हें जिताने की ज़रूरत है , जो गोडसे हैं उन्हें हराने की ज़रूरत है , जबकि जो राम है , उन्हें पूजने की ज़रूरत है , जो रावण है , उन्हें तिरस्कृत कर जलाने की ज़रूरत है , लेकिन भौतिकतावाद के इस युग में , साहित्यिक व्यवसायीकरण के इस काल में ,, पत्रकारिता के निरन्त रसातल में जाने वाले इस कलियुग में , कुछ गिनती के ही लोग है , जो हाशमी के इस सपने को साकार कर ,,,गांधी के सपनों का जहान चाहिए , मुझको राम वाला हिंदुस्तान चाहिए ,,वाला हिंदुस्तान पाने के लिए , शिद्द्त से , निष्पक्ष और निर्भीक होकर , लिखते रहेंगे , बोलते रहेंगे , मोटिवेशन करते रहेंगे ,, अख्तर खान अकेला कोटा राजस्थान 9829086339

 

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