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10 जून 2025

प्रसिद्ध साहित्यकर व चिंतक प्रोफेसर अज़हर हाशमी नहीं रहे

 

प्रसिद्ध साहित्यकर व चिंतक प्रोफेसर अज़हर हाशमी नहीं रहे
-अंतिम संस्कार 11 जून को उनके गृह गांव पिड़ावा मे किया जायेगा
रतलाम, 10 जून। प्रख्यात साहित्यकार, चिंतक एवं विचारक प्रोफेसर अजहर हाशमी का मंगलवार इंतकाल हो गया है। उनका अंतिम संस्कार उनके जन्म स्थान पिड़ावा जिला झालावाड़ में 11 जून को किया जाएगा। प्रोफेसर हाशमी जी पिछले कुछ समय से अस्वस्थ थे और रतलाम के एक निजी चिकित्सालय में उनका उपचार किया जा रहा था। मंगलवार शाम को 6:08 पर उन्होंने अंतिम सांस ली। प्रोफेसर हाशमी की पार्थिव देह को अंतिम दर्शन के लिए इंदिरा नगर स्थित उनके निवास पर रखा गया। रात 9.30 बजे उनकी पार्थिव देह उनके पैतृक गांव पिड़ावा जिला झालावाड़ (राजस्थान) ले जाई गई। उनके छोटे भाई मजहर हाशमी ने बताया कि प्रो अजहर हाशमी को 11 जून की सुबह 10 बजे ग्राम पिड़ावा झालावाड़ ( राजस्थान) में सुपुर्दे खाक किया जायेगा।
साहित्यकार प्रो. अजहर हाशमी का जाना
साहित्य जगत को बड़ी क्षति
प्रसिद्ध साहित्यकार, चिंतक, कवि, व्यंगकार व गीतकार प्रोफेसर अजहर हाशमी साहित्य की दुनिया में एक बड़ा नाम है। वे ज्ञान के भंडार थे। उनके पास शब्दों का खजाना था। हर विषय और हर शख्सियत पर लिखने के लिए उन्हें महारथ हासिल थी। किसी भी विषय व शख्सियत पर जब वे लिखते हैं, तो पढ़ने वाला पढ़ता ही रह जाता है। प्रो हाशमी अच्छे कवि, लेखक, गीतकार, व्यंग्यकार होने के साथ ओजस्वी वक्ता, संत परंपरा के वाहक, प्रखर लेखक व प्रवचनकार है। अापने कई प्रादेशिक व राष्ट्रीय स्तर की व्याख्यानमालाओं में व्याख्यान दिए है। आपने देश के कई मशहूर कवियों व शायरों के साथ मंच साझा किए है।
मूलता राजस्थान के झालावाड़ जिले के ग्राम पिड़ावा में सामान्य परिवार में 13 जनवरी 1950 में जन्मे प्रोफेसर अजर हाशमी की प्रारंभिक शिक्षा गांव में और उच्च शिक्षा उज्जैन में हुई। इसके बाद वे उज्जैन माधव कॉलेज में प्रोफेसर बने। कुछ समय बाद रतलाम आ गए फिर रतलाम ही उनकी साहित्य और कर्मभूमि बन गया। साड़ी, सेव, सोना और रेलवे जंक्शन के रूप में विख्यात रतलाम नगर साहित्यकार प्रोफेसर अज़हर हाशमी के नाम से भी पहचाना जाता है।प्रो. हाशमी सूफी परंपरा, सद्भाव और धार्मिक प्रवचनों के माध्यम से देशभर में जाने जाते हैं।प्रो. अजहर हाशमी को इसलिए भी पहचाना जाता है कि हर विषय पर बहुत अच्छा लिखते हैं। मदर्स डे, फादर डे, डाक्टर्स डेे, मजदूर दिवस, हिंदी दिवस, शिक्षक दिवस या कोई भी दिवस, त्योहार, किसी भी महान व्यक्ति चाहे फिर वह महान जननेता व पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी, आयरन लेडी व पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी, मिशाइलमैन व पूर्व राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम, कांतिकारी सुभाषचंद्र बोस, साहित्यकार सुमित्रानंदन पंत, मुंशी प्रेमचंद, समाजवादी मामा बालेश्वर दयाल, महावीर जयंती, राम नवमी, ईद मिलादुन्नबी, गुरुनानक जयंती, दशहरा, दीपावली, होली, क्रिसमस, ईद या कोई त्योहार, दिन हो अथवा कोई शख्सियत सभी पर उन्होंने बहुत और बेहतर लिखा है। उनके लेख पढ़कर विद्यार्थियों को नहीं आम लोगों को बहुत सी नई जानाकारिया मिलती है। उनका दुनिया से विदा होना साहित्य जगत के लिए एक बड़ी क्षति।

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