अब ये रात कह रही है तेरे चांद ने अंगड़ाइयां ले ली है,
बादलों से कोई कह दो ये सितारा उसकी झलक चाहता है।
मैं सो जाता हूं आंखे मूंद लेता हूं बस नींद आ जाए,
शोर इतना है अब दिल थोड़ी ख़ामोशी की कसक चाहता है,
बिन तेरी आवाज़ सुने अब दिल को क़रार आता नही,
उसका नाम आयत की तरह है बहुत सुकून दे जाता है,
फिर ये दिल उसे पढ़कर उससे भी थोड़ी इशक चाहता है,
हम मिले या ना मिले वो मेरे अंदर ही है रूबरू कहीं,
मैं जानता हूं या वो जानती है ये दिल फकत उसे चाहता है,
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
दोस्तों, कुछ गिले-शिकवे और कुछ सुझाव भी देते जाओ. जनाब! मेरा यह ब्लॉग आप सभी भाईयों का अपना ब्लॉग है. इसमें आपका स्वागत है. इसकी गलतियों (दोषों व कमियों) को सुधारने के लिए मेहरबानी करके मुझे सुझाव दें. मैं आपका आभारी रहूँगा. अख्तर खान "अकेला" कोटा(राजस्थान)