आपका-अख्तर खान

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06 अप्रैल 2025

अब ये रात कह रही है तेरे चांद ने अंगड़ाइयां ले ली है,

 

अब ये रात कह रही है तेरे चांद ने अंगड़ाइयां ले ली है,
बादलों से कोई कह दो ये सितारा उसकी झलक चाहता है।
मैं सो जाता हूं आंखे मूंद लेता हूं बस नींद आ जाए,
शोर इतना है अब दिल थोड़ी ख़ामोशी की कसक चाहता है,
बिन तेरी आवाज़ सुने अब दिल को क़रार आता नही,
ख़ामोश होने से पहले ये गुफ्तुगु बेहद बेझिझक चाहता है,
उसका नाम आयत की तरह है बहुत सुकून दे जाता है,
फिर ये दिल उसे पढ़कर उससे भी थोड़ी इशक चाहता है,
हम मिले या ना मिले वो मेरे अंदर ही है रूबरू कहीं,
मैं जानता हूं या वो जानती है ये दिल फकत उसे चाहता है,

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